बिहार- लालू के यंहा क्यों पड़ा सीबीआई का छापा, जानकर सभी के उड़ गये होश

लालू प्रसाद यादव ने मायावती को अपनी 27 अगस्त को होने वाली रैली में शामिल होने के लिए तैयार कर लिया है। भाजपा के लिए यह उसकी कब्र खोदने जैसी स्थिति होगी, दरअसल उत्तर भारत में मायावती और मुलायम सिंह यादव की निजी कटुता ही भाजपा के लिए “प्राण” का काम करती है।

 लालू के यंहा पड़ा सीबीआई का छापा

लालू प्रसाद यादव इस कटुता को समाप्त करने का प्रयास पिछले दो वर्षों से कर रहे हैं।परन्तु अपेक्षित परिणाम उनको उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद मिला जब मायावती इतने विधायक भी जीत नहीं सकीं कि वह स्वयं राज्य सभा में जा सकें। लालू प्रसाद यादव ने उनको बिहार से राज्य सभा में भेजने का ऐलान करके अपनी ओर खींच लिया।

अब 27 अगस्त को मंच पर जब सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, मायावती, लालू प्रसाद यादव, नितीश कुमार, ममता बनर्जी और अन्य तमाम महत्वपूर्ण नेता उपस्थित होकर एक साथ होने का ऐलान करेंगे तो नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री की कुर्सी में वह घुन लगेगा जो 2019 तक उस कुर्सी को ही खा जाएगा

आपको बता दें कि कांग्रेस और राहुल गांधी ने एक सोची समझी रणनीति के तहत लालू प्रसाद यादव को इस महागठबंधन को बनाने के लिए आगे कर दिया है तो उसकी एक बड़ी वजह एक तो लालू प्रसाद यादव का किसी भी पद के लिए अयोग्य होना है और दूसरे कांग्रेस विरोधी मानसिकता के गैर भाजपा नेताओं से लालू प्रसाद यादव के निकटतम संबंध।

अब मोदी की यही बैचनी लालू प्रसाद यादव के सहयोगियों पर पड़े छापे की मुख्य वजह है, कल तेजस्वी यादव के दाना पुर में बन रहे माल को भी केन्द्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने बनने से रोक दिया। आगे भी ऐसी दमनात्मक कार्यवाही केन्द्र की हिटलर सरकार कर सकती है, अदालत से लालू प्रसाद यादव की ज़मानत निरस्त करा कर फिर से जेल भेज सकती है।

फिलहाल केन्द्र सरकार लालू प्रसाद यादव पर एक हफ्ते में 3 आक्रमण कर चुकी है जिसमें छापे, माल का निर्माण रोकने के साथ चारा घोटाले में साजिश करने के आरोप में मुकदमा चलाने का अदालती आदेश भी शामिल है। यह केन्द्र सरकार द्वारा लालू प्रसाद यादव को डराने और धमकाने की साजिश है।

दरअसल लालू प्रसाद यादव अपने जीवन की महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ रहे हैं और वह भी निःस्वार्थ क्यूंकि अदालत द्वारा दोषी ठहराने के बाद वह किसी भी पद को ग्रहण करने के योग्य नहीं हैं। देश हित में लालू प्रसाद यादव के किए जा रहे 2019 के इस महागठबंधन में मेरी सूचना के अनुसार नवीन पटनायक, केसीआर और कुछ अन्य क्षेत्रीय दल भी शामिल हो सकते हैं।

यह भी पढ़ें: पीएम मोदी के उत्तराधिकारी बनेंगे योगी…

2019 में यदि लालू प्रसाद यादव ने भाजपा विरोधी वोटरों को बिखरने से बचा लिया तो भाजपा को 50 सीटों पर सिमटना तय है। फिलहाल 27 अगस्त को मुलायम सिंह यादव या अखिलेश यादव और मायावती को एक साथ देखने के ऐतिहासिक क्षण की प्रतिक्षा कीजिए। भाजपा विरोधी और देशप्रेमी लोगों को इससे अधिक सुखद क्षण फिलहाल ज़हर भर गये वातावरण में नहीं मिलेगा।

Back to top button