लखनऊ में घरों में चल रहे हैं 30 हजार शोरूम व दुकानें, रद्द होगा प्लाट का आवंटन

बिना अनुमति घर में शोरूम, दुकान व अन्य कॉमर्शियल गतिविधियां चलाने वाले भवन स्वामियों पर शिकंजा कसते हुए एलडीए ने इनके प्लॉट का आवंटन रद्द करने का फैसला किया है।
लखनऊ में घरों में चल रहे हैं 30 हजार शोरूम व दुकानें, रद्द होगा प्लाट का आवंटन
आवासीय भूखंड का लैंडयूज के विपरीत व्यावसायिक इस्तेमाल करने वाले आंवटियों को जल्द ही नोटिस भेज कार्रवाई शुरू होगी। इसके लिए जरूरी कानूनी सलाह भी एलडीए ले चुका है। यह माना जा रहा है कि इस आदेश के लागू होते ही अलग-अलग योजनाओं में करीब 25 से 30 हजार आवंटी प्रभावित होंगे।

प्राधिकरण के एक अधिकारी के मुताबिक आवासीय में कॉमर्शियल इस्तेमाल को बंद करने के लिए पिछले कई दिनों से कवायद चल रही है। एलडीए पैनल में शामिल वरिष्ठ वकीलों की हरी झंडी मिल चुकी है। अब नोटिस के फॉर्मेट पर काम चल रहा है। इसके फाइनल होते ही नोटिस भेजा जाएगा।

नोटिस के बाद भी यदि खुद से आवंटी कॉमर्शियल इस्तेमाल बंद नहीं करते तो एलडीए आवंटन निरस्त कर उन्हें संपत्ति से बेदखल कर देगा। गौरतलब है कि ‘लखनऊ विकास प्राधिकरण की आवासीय संपत्तियों के पंजीकरण एवं आवंटन की प्रक्रिया-2016’ के बिंदु 28 के मुताबिक आवासीय उपयोग के लिए आवंटित भूखंड या फ्लैट का उपयोग केवल रिहाइशी ही किया जा सकता है। यदि इसका दूसरा उपयोग होते मिला तो प्राधिकरण को आवंटी के खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार होगा।

आवंटन निरस्त कर किया जा सकता है बेदखल

इस कार्यवाही में भूखंड, भवन या फ्लैट का आवंटन निरस्त कर बेदखल किया जाना भी शामिल है। इससे पहले भी एलडीए की आवंटन और निबंधन की शर्तों में इसका उल्लेख किया जाता है। इसके आधार पर ही अनुबंध विकास प्राधिकरण और आवंटी के बीच होता है।

बनाया जा रहा डाटा बेस
सभी छह जोन के इंजीनियरों को डाटाबेस बनाने के लिए कहा गया है। इस डाटाबेस में अवैध निर्माण के अलावा आवासीय में चल रहे कॉमर्शियल उपयोग वाले भवनों की सूची बनाई जानी है। सभी अवर अभियंता और सहायक अभियंता इस डाटाबेस को तैयार कर वीसी को रिपोर्ट करेंगे। इसके आधार पर नोटिस भेजने की कार्यवाही संपत्ति विभाग से शुरू कराई जाएगी।

इन योजनाओं में बुरा हाल
– गोमतीनगर फेज-1,2 और विस्तार
– कानपुर रोड योजना
– आशियाना योजना
– शारदानगर योजना
– अलीगंज योजना
– जानकीपुरम फेज-1 और विस्तार योजना

आखिर क्यों नहीं कस पा रहा शिकंजा

आवासीय भूखंड का व्यावसायिक इस्तेमाल किए जाने पर एलडीए अभी तक यूपी नगर और शहरी विकास नियमावली, 1973 और संशोधन 1997 के तहत कार्रवाई करता है। इसमें भवन को सील करके कॉमर्शियल उपयोग बंद कराया जाता है। कई बार कागजों पर सील बिल्डिंग में खुलेआम कॉमर्शियल गतिविधि चलती रहती है।

वहीं एलडीए में शपथ पत्र देकर भी सील खुलवा ली जाती है। इसके बाद दोबारा से कॉमर्शियल उपयोग शुरू हो जाता है। सवाल यह है कि आखिर किसकी शह पर घरों में शोरूम-दुकान व नर्सिंग होम जैसी गतिविधियां संचालित करने वालों के हौसले बुलंद रहते हैं?

मामले पर एलडीए वीसी प्रभु एन सिंह का कहना है कि एलडीए आवंटन और रजिस्ट्री के समय ही आवंटी को आवासीय उपयोग के अलावा दूसरा उपयोग करने के लिए शर्त लगाता है।

इसके बाद भी अगर कोई आवंटी ऐसा करके कॉमर्शियल उपयोग करता है, तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए। आवंटन निरस्त करने के लिए विधिक राय ली गई है। नोटिस भेजकर जल्दी ही एलडीए अपनी कार्यवाही शुरू करेगा।

 
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