रूस के एंटी सेटेलाइट कैपेबिलिटी मिसाइल सिस्‍टम ने अमेरिका की बढ़ाई चिंता

अमेरिका ने हाल ही में अपनी मिसाइल डिफेंस रिपोर्ट में अपने मिसाइल प्रोग्राम का जिक्र किया है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में रूस से बढ़ती चिंता साफतौर पर दिखाई दी है। हकीकत ये है कि रूस ने अमेरिका की चिंता को कई गुणा बढ़ा दिया है। इसकी वजह एंटी सेटेलाइट कैपेबिलिटी सिस्‍टम जिसको वह तेजी से विकसित करने में लगा है। इसको लेकर रूस पहले भी कई परीक्षण कर चुका है। लेकिन ताजा परीक्षण रूस ने पिछले वर्ष दिसंबर में किया था। इस परीक्षण को रूस की तरफ से पूरी तरह से सफल बताया गया। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट की मानें तो इस एंटी सेटेलाइट मिसाइल ने 17 मिनट की उड़ान के दौरान 1864 मील की दूरी तय और अपने टार्गेट को हिट किया।रूस के एंटी सेटेलाइट कैपेबिलिटी मिसाइल सिस्‍टम ने अमेरिका की बढ़ाई चिंता

चिंता की वजह
जहां तक अमेरिका की चिंता की बात है तो इसमें केवल रूस ही एक वजह नहीं है बल्कि इसमें चीन, ईरान और उत्तर कोरिया भी है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका के लिए दूसरी बड़ी चिंता की बात ये भी है कि इस एंटी सेटेलाइट कैपेबिलिटी तकनीक को विकसित करने में चीन भी पीछे नहीं है। आपको बता दें चीन भी इस तकनीक का सफल परीक्षण कर चुका है, लेकिन यह भी अभी विकसित होने की तरफ है। 2007 में चीन ने इसका परीक्षण किया था। इसके तहत उसने अपने ही एक सेटेलाइट को निशाना बनाया था। रूस की बात करें तो उसके इस प्रोग्राम का हिस्‍सा ग्राउंड लॉन्‍च से लेकर डायरेक्‍ट एनर्जी वेपंस भी शामिल हैं।

डायरेक्‍ट एनर्जी वेपन
डायरेक्‍ट एनर्जी वेपंस में वह हथियार आते हैं जिसमें लेजर वेपंस आते हैं। इसके तहत एक निश्चित दर पर हाईरेज छोड़ी जाती हैं जो दिखाई नहीं देती हैं लेकिन यह बेहद घातक होती हैं। यह मिसाइल या किसी भी अत्‍याधुनिक जेट को पलभर में खाक कर देने में सहायक होती हैं। हालांकि रूस के पास पहले से ही कुछ लेजर हथियार हैं, लेकिन अब वह इनको और अधिक घातक बनाने पर काम कर रहा है। रूस ने पिछले माह जो परीक्षण किया है वह अमेरिका की दृष्टि से बेहद खास बताया जा रहा है। इसके चलते अमेरिका को अपने सेटेलाइट के प्रति चिंता सता रही है।

कहीं से भी हो सकती है लॉन्‍च
इसकी वजह अंतरिक्ष में मौजूद अमेरिकी सेटेलाइट और दूसरे ऐसेट्स भी हैं। रूस PL-19 Nudol सिस्‍टम का भी 2018 में दो बार परीक्षण कर चुका है। इसको मोबाइल लॉन्‍चर से कहीं से भी लॉन्‍च किया जा सकता है। यह इस मिसाइल का सातवां परीक्षण था। कहा ये भी जा रहा है रूस के एंटी सेटेलाइट वेपन कम्‍यूनिकेशन और इमेजरी सेटेलाइट को निशाना बना सकते हैं। इस लिहाज से एक खतरा इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन और हबल टेलिस्‍कोप को भी है। क्‍योंकि इस तरह की सेटेलाइट पृथ्‍वी के वायुमंडल के निचले हिस्‍से में हुआ करते हैं। जानकार मानते हैं कि रूस के सिस्‍टम से किसी भी सेटेलाइट का कंट्रोल अपने हाथ में लिया जा सकता है, उसको अनियंत्रित किया जा सकता है और साइबर अटैक के लिए भी इसका इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

मौसमी उपग्रह पर भी शक
रूस के इस खतरनाक प्रोग्राम की वजह से अमेरिका रूस द्वारा हाल ही में लॉन्‍च किए जाने वाले मौसमी उपग्रह को भी शक की निगाह से देख रहा है। रूस की मानें तो यह आर्कटिक क्षेत्र के मौसम की जानकारी के लिए छोड़े जाने वाला उसका पहला उपग्रह है। इसका नाम Arktika-M जो जून में पृथ्‍वी की कक्षा के निकट स्‍थापित किया जाएगा।

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