राहुल और रघुराम के बीच इकोनॉमी को लेकर हुई यह बातचीत

न्यूज डेस्क

पूरे देश में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लॉकडाउन जारी है, जोकि तीन मई तक रहेगा। तीन मई के बाद भी लॉक डाउन खुलेगा इसको लेकर सरकार ने स्थिति साफ़ नहीं की है। लॉक डाउन की वजह से देश की इकोनॉमी की हालत काफी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी ने रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से बातचीत की है। इस दौरान दोनों ने देश की इकोनॉमी की चुनौतियों और उपाय के बारे में जानकारी ली।

क्या बोले रघुराम राजन

बातचीत के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि देश में चल रहे लॉकडाउन को हमेशा के लिए जारी नहीं रखा जा सकता है। अब आर्थिक गतिविधियों को खोलने की जरूरत है। इससे लोग अपना काम-धंधा फिर चालू कर सकें। लेकिन यह कदम सावधानी पूर्वक उठाया जाना चाहिए।

इस महामारी से निपटने के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा, उसके लिए बजट की एक सीमा है। इस वक्त गरीबों की मदद करना जरूरी है। इसके लिए सरकार के करीब 65 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसका प्रबंध किया जा सकता है क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था 200 लाख करोड़ रुपये की है।

उन्होंने कहा कि वैश्विक मंच पर भी भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। शक्तिहीन लोगों को शक्तिशाली नेता अच्छा लगता है, हम एक विभाजित समाज के साथ कहीं नहीं पहुंच सकते हैं। साथ ही आज स्वास्थ्य, नौकरी के लिए अच्छी व्यवस्था करने की जरूरत है।

पूर्व गवर्नर ने बताया कि, ‘मुझे लगता है कि ग्लोबल आर्थिक सिस्टम में कुछ गलत तो है। लोगों के पास नौकरी नहीं है। और जिन लोगों के पास नौकरी है उनको आगे की चिंता है।आय का असमान वितरण हो रहा है, इसके लिए अवसरों का सही वितरण करना होगा। साथ ही देश के लिए इस समय अपने इंडस्ट्री को आगे बढ़ाना मौका है।’

राजन ने कहा कि फूड, हेल्थ एजुकेशन पर कई राज्यों ने अच्छा काम किया है। सबसे बड़ी चुनौती लोअर मिडल क्लास और मिडल क्लास वालों के लिए है जिसके पास अच्छे जॉब नहीं होंगे।

लॉकडाउन के बाद भारत के संदर्भ में अब तक जो आंकड़े आए हैं। वो चिंताजनक हैं रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘अगर आप सीएमआईई के आंकड़े को देखा जाए तो कोविड-19 के कारण 10 करोड़ से ज्यादा लोगों से रोजगार छिन गया है। हमें अर्थव्यवस्था को इस तरह से खोलना होगा कि लोग फिर से काम पर लौट सकें।’

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