राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जुमला बन गया था ये स्लोगन
बीहड़ पट्टी में लगवाए हजारों हैंडपंप
राज्यसभा सदस्य रहे रामनाथ कोविंद हमेशा पेयजल समस्या पर गंभीर रहे। किल्लत मद्देनजर बीहड़ पट्टी के गावों में हैंडपंप लगवाए। शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक पानी की टंकियां भी रखवाईं।लगभग 20 साल पहले कानपुर देहात जनपद के राजपुर और अमरौधा विकासखंड क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में अक्सर पीने के पानी की किल्लत हो जाती थी। कुएं सूख जाने पर तलहटी के निवासी यमुना नदी से पानी उपलब्ध करते। पीने के पानी के लिए इकलौते हैंडपंपों पर ग्रामीणों को रातों लाइन लगानी पड़ती। कई बार पानी के लिए मारामारी भी हुई।
राज्यसभा सदस्य रहे रामनाथ कोविंद हमेशा पेयजल समस्या पर गंभीर रहे। किल्लत मद्देनजर बीहड़ पट्टी के गावों में हैंडपंप लगवाए। शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक पानी की टंकियां भी रखवाईं।लगभग 20 साल पहले कानपुर देहात जनपद के राजपुर और अमरौधा विकासखंड क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में अक्सर पीने के पानी की किल्लत हो जाती थी। कुएं सूख जाने पर तलहटी के निवासी यमुना नदी से पानी उपलब्ध करते। पीने के पानी के लिए इकलौते हैंडपंपों पर ग्रामीणों को रातों लाइन लगानी पड़ती। कई बार पानी के लिए मारामारी भी हुई।
1994 में राज्यसभा सदस्य बनने के बाद कार्यकर्ताओं ने कोविंद को जानकारी दी। कार्यकर्ताओं से समस्याग्रस्त क्षेत्रों की सूची मांगी। यमुना तलहटी के राजपुर के बेहमई, भाल, दमनपुर, जैनपुर, जैसलपुर, खासबरा और अमरौधा के शाहजहांपुर, रुरगांव, अमरौधा, पिपरी, भोगनीपुर, नोनापुर, सुजौर, पातेपुर आदि गावों के लोग आज भी कोविंद को याद करते हैं। अमरौधा के सूरजसिंह यादव ने बताया डिलौलियाबांगर के यमुना घाट पर दूर-दूर से लोग शवों का अंतिम संस्कार करने आते हैं। पीने के पानी की किल्लत को देखते हुए वहां पर भी एक हैंडपंप उनके नाम लगा है।