राष्ट्रपति भवन से जुड़े रोचक तथ्य, जिसे नहीं जानता होगा कोई भी देश का नागरिक

भारत का राष्ट्रपति भवन भारत के राष्ट्रपति का सरकारी निवास स्थान है। सन 1950 तक इसे वायसराय हाउस ही कहते थे। इसकी इमारते तब अस्तित्व में आई जब भारत की राजधानी को कोलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित किया गया। इस महल में 340 कमरे है। राष्ट्रपति भवन हमारे देश के गौरव की मिसाल है और साथ ही देश की सबसे बड़ी सरकारी इमारतों में से एक भी है।
राष्ट्रपति भवन के बारे में ऐसी रोचक बाते:
यह दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्रपति भवन या विश्व का सबसे बड़ा सरकारी निवास स्थान है। वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति, उन कक्षों में नहीं रहते, जहां वाइसरॉय रहते थे, बल्कि वे अतिथि-कक्ष में रहते हैं।

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इस भवन में 700 मिलियन ईंटें और 3.5 मिलियन घन फीट (85000 घन मीटर) पत्थर लगा है, जिसके साथ लोहे का प्रयोग न के बराबर हुआ है।
ब्रिटिश वास्तुकार सर एड्विन लैंडसियर लूट्यन्स को इस इमारत के निर्माण का कार्यभार सौंपा गया।
इस भवन को बनाने का काम 1912 में शुरु किया गया था और 1929 में पूरा किया गया था| इसे बनाने में 17 साल लगे थे।
राष्ट्रपति एस्टेट में एक ड्राइंग रूम, एक खाने के कमरे, एक बैंक्वेट हॉल, एक टेनिस कोर्ट, एक पोलो ग्राउंड और एक क्रिकेट का मैदान और एक संग्रहालय शामिल है जो इस स्थान के दूसरे आकर्षण हैं।
राष्ट्रपति भवन के पीछे मुग़ल गार्डन है जो मुगल और ब्रिटिश शैली का एक अनूठा मिश्रण है। यह 13 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ फूलों की कुछ विदेशी किस्में भी शामिल हैं।
न्यूज़ रिपोर्टर्स के अनुसार, भारत सरकार ने 2007 में इसके रखरखाव में 100 करोड़ रुपये खर्च किये। राष्ट्रपति भवन में 750 कर्मचारी कार्यरत है।
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