राम मंदिर पर बोले सीएम योगी, इसके समाधान में 24 घंटे से अधिक समय नहीं लगना चाहिए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या विवाद मामले में न्यायालय को जन आस्था का सम्मान करना चाहिए। इसके समाधान में 24वें से 25वां घंटा नहीं लगना चाहिए। वह सोमवार को विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे।राम मंदिर पर बोले सीएम योगी, इसके समाधान में 24 घंटे से अधिक समय नहीं लगना चाहिए

बहिष्कार के चलते सदन में विपक्षी सदस्यों की गैरमौजूदगी में उन्होंने सपा, बसपा व कांग्रेस पर तीखे प्रहार किए। कहा, अयोध्या में वर्ष 2005 में आतंकी हमला हुआ था। सपा सरकार ने आतंकियों के मुकदमे वापस लेने का प्रयास किया था।

अब वे बोलते हैं कि राम मंदिर क्यों नहीं बना? उन्होंने कहा, अयोध्या विवाद में हमने अपना काम किया है। इस केस से जुड़े दस्तावेज का अनुवाद महज 6 माह में करके दे दिया।

उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने जब फैसला दिया था कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहीं राम जन्मभूमि है, तो विवाद वहीं समाप्त हो गया था। विवाद जमीन के बंटवारे का नहीं था। तय होना था कि रामजन्म भूमि है या नहीं। इस विवाद के समाधान में 24वें से 25वां घंटा नहीं लगना चाहिए।

अयोध्या की पहचान राम से, किसी आक्रांता से नहीं
सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या की पहचान राम से है, न कि किसी आक्रांता से। यह हमारे लिए गौरव की बात है कि आस्था के तीन प्रमुख केंद्र अयोध्या, मथुरा व काशी यूपी में है। डॉ. लोहिया मंदिर नहीं जाते थे, लेकिन उन्होंने कहा था कि राम, कृष्ण व शिव भारत के आदि राष्ट्रपुरुष हैं। भारत का नाम पहले आर्यावर्त था।

इसे हिमालय और विंध्याचल के बीच की सीमा से लांघकर सुदूर दक्षिण तक ले जाकर सांस्कृतिक सीमा को राजनीतिक सीमा में बदलने का श्रेय भी श्रीराम को जाता है। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण ने पूरब से पश्चिम को जोड़ा। अरुणाचल, मणिपुर के लोगों में भाव हैं कि रुक्मणि वहीं से आई थीं। सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इस भाव को डॉ. लोहिया समझ सकते थे, लेकिन उनके चेले नहीं समझेंगे।

क्या मूर्तियों पर हुआ खर्च जमा करने में बुआ की मदद करेंगे भतीजे
योगी ने कहा कि सपा सरकार ने मायावती के कार्यकाल में बने स्मारकों को मैरिज हॉल में बदलने, बिजली काटने और बर्बाद करने में कसर नहीं छोड़ी। जब सत्ता में आए तो हमसे बसपा का प्रतिनिधिमंडल मिला तो हमने कहा कि ये स्मारक प्रदेश की जनता के पैसे से बने हैं, इनका संरक्षण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव बताएंगे कि बहनजी को मूर्तियां लगाने में खर्च हुआ पैसा वापस करना पड़ेगा तो क्या सीटों की तरह उसका भी बंटवारा करेंगे।

बुआ को धन की कमी हो तो भतीजे को मदद करनी चाहिए। उन्होंने बहुत धन कमाया है। गोमती रिवर फ्रंट की डीपीआर 314 करोड़ की थी, लेकिन इस पर 1437 करोड़ रुपये खर्च किए गए फिर भी काम अधूरा रहा। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की बिड भी 15,200 करोड़ रुपये से घटकर 11,800 करोड़ रुपये रह गई। यह पैसा कहां जा रहा था? कोई इससे आस्ट्रेलिया तो कोई इंग्लैंड में घर बना रहा था।

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