राजा के वंशजों ने AMU से कहा जमीन वापस करें

लखनऊ सितंबर। राजा महेंद्र प्रताप द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को दी गई लीज के 90 साल पूरा होने पर के वंशज ने यूनिवर्सिटी को पत्र लिखकर खाली पड़ी जमीन वापस देने और यूनिवर्सिटी के सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से करने की मांग की है।पत्र के मुताबिक एएमयू का तिकोनिया पार्क व सिटी स्कूल दोनों राजा महेंद्र प्रताप की जमीन पर बने हैं। विश्वविद्यालय को यह जमीन 90 साल पहले लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि अब समाप्त हो गई है।यूनिवर्सिटी की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में पत्र के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कुलपति प्रो. तारिक मंसूर की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। यह समिति एग्जीक्यूटिव काउंसिल की अगली बैठक में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति अपनी रिपोर्ट में सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र सिंह के नाम पर रखने के प्रस्ताव पर सुझाव भी देगी।

अलीगढ़ में 47 एकड़ जमीन पर उप्र सरकार बना रही है, राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय

राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने एएमयू को जमीन दी लेकिन इस बात का जिक्र यूनिवर्सिटी ने कभी नही किया। उनके नाम का एक भी पत्थर नहीं लगाया गया, और न ही किसी भवन या छात्रावास का नाम उनके नाम से रखा गया। अब उप्र के मुख्यमंत्री ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से अलीगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय बनाने जा रही है। पांच दिन पहले ही योगी आदित्यनाथ ने अलीगढ़ में प्रस्तावित इस विश्वविद्यालय के भवन के निर्माण शुरू करने की तैयारियों की समीक्षा की है। योगी सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा की थी। सरकार चाहती है कि 2022 के विधानसभा आम चुनाव के पहले यूनिवर्सिटी तैयार हो जाए।

अलीगढ़ के कोल तहसील के लोढ़ा और मुसईपुर गांवों की जमीन पर नये विश्वविद्यालय के लिए भूमि प्रस्तावित की गई है। जिला प्रशासन ने 37 हेक्टेयर से अधिक सरकारी भूमि देने का निर्णय किया है। इसके अलावा अन्य 10 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई है। बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय देश के प्रमुख केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में से एक है। इसकी स्थापना सर सैयद अहमद खान ने 1875 में की थी, जिसे मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज कहा गया और फिर 1920 में इसे विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप सिंहराजा महेन्द्र प्रताप सिंह (1 दिसम्बर 1886 को जन्म, 29 अप्रैल 1979 को मृत्यु) भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, पत्रकार, लेखक, क्रांतिकारी और समाज सुधारक थे। उन्हे ‘आर्यन पेशवा’ भी कहा जाता था। राजा महेन्द्र प्रताप ने कलकत्ता में 1906 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया था। 1909 में वृन्दावन में प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की जो तकनीकी शिक्षा के लिए भारत में प्रथम केन्द्र था। वृन्दावन के 80 एकड़ के उद्यान को 1911 में आर्य प्रतिनिधि सभा उप्र को दान में दे दिया। जिसमें अब आर्य समाज गुरुकुल है और राष्ट्रीय विश्वविद्यालय भी है।

देश की आजादी में मदद के लिए प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उन्होने जर्मनी के शासक कैसर से भेंट की थी। बुडापेस्ट, बल्गारिया, टर्की होकर हैरत पहुँचे। अफगानिस्तान पहुंच कर वहां के बादशाह से मुलाकात की और वहीं से 1 दिसम्बर 1915 में काबुल से भारत के लिए अस्थाई सरकार की घोषणा की जिसके राष्ट्रपति राजा महेंद्र बने तथा प्रधानमंत्री मौलाना बरकतुल्ला खाँ बने। उन्होने रूस के राष्ट्रपति लेनिन ने से मदद लेने की कोशिश की थी। विश्व मैत्री संघ की स्थापना की। 1946 में भारत लौटे। सरदार पटेल की बेटी मणिबेन उनको लेने कलकत्ता हवाई अड्डे गईं थी। आजाद भारत में राजा महेंद्र सिंह संसद-सदस्य भी रहे।

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