राजस्व बढ़ाने को शराब कारोबार में उतर सकती है पंजाब सरकार, दूसरे राज्यों से मिला आइडिया
राजस्व उगाही के सारे अनुमानों में पिछड़ रही पंजाब सरकार आमदनी बढ़ाने के लिए शराब कारोबार में उतर सकती है। इस संबंध में इस साल विभिन्न राज्यों का दौरा करके लौटी विशेष टीम की सिफारिशों को पहले तो सरकार ने ज्यादा तरजीह नहीं दी, लेकिन चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में ही राजस्व उगाही में 18 फीसदी की कटौती ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। सरकार सोचने पर मजबूर हो गई है कि अगर अन्य सरकारें शराब की थोक (होलसेल) बिक्री अपने हाथ में लेकर राजस्व बढ़ा सकती हैं तो पंजाब ऐसा क्यों नहीं कर सकता।
पंजाब सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी तैयार करने से पहले इस साल फरवरी में शराब की शासकीय बिक्री पर भी ध्यान दिया था। इसके तहत सूबे के वित्त मंत्री के अलावा वित्त विभाग के अधिकारियों की विशेष टीम ने तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल समेत ऐसे राज्यों की एक्साइज पॉलिसी का अध्ययन किया था, जहां शराब की बिक्री सरकार ने अपने हाथों में ले रखी है। हालांकि उस समय शराब की शासकीय बिक्री से सरकार झिझकी और अध्ययन रिपोर्ट में कोई फैसला नहीं लिया गया।
अध्ययन में पाया गया था कि शराब की शासकीय बिक्री वाले राज्यों में इस मद से राजस्व उगाही बहुत अधिक है। तमिलनाडु में प्रति व्यक्ति शराब की खपत देश में सबसे ज्यादा 5.22 लीटर है। वहां सरकार को इससे सालाना 26,130 करोड़ रुपये राजस्व मिल रहा है। वहीं पश्चिम बंगाल में प्रति व्यक्ति शराब की खपत पंजाब से कम 2.80 लीटर है।