राजस्थान में बढ़ा स्वाइन फ्लू का प्रकोप, 28 दिनों में 75 मौतें, सरकार ने दिए स्क्रीनिंग के निर्देश

जयपुर: राजस्थान में साल 2019 के शुरुआती 28 दिनों में 75 मौतें हो चुकी है. जबकि 1 हजार 911 स्वाइन फ्लू के पॉजिटिव केस सामने आ चुके है. कुछ दिन पहले प्रदेश में स्वाइन फ्लू की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और हैल्थ मिनिस्टर डॉ रघु शर्मा की मौजूदगी में स्वाइन को लेकर एक राज्य स्तरीय मीटिंग भी ली गई थी. इसके बाद सोमवार को चिकित्सा मंत्री ने एक विडियो कोंफ्रेसिंग के जरिये प्रदेश स्तर पर स्वाइन फ्लू की समीक्षा की. वहीं स्वाइन फ्लू के सबसे अधिक प्रभावित जिलों में हैल्थ मिनिस्टर डॉ रघु शर्मा दौरे भी कर रहे है.राजस्थान में बढ़ा स्वाइन फ्लू का प्रकोप, 28 दिनों में 75 मौतें, सरकार ने दिए स्क्रीनिंग के निर्देश

राजस्थान के जोधपुर जिले में स्वाइन फ्लू से सबसे अधिक 23 मौत हुई है जबकि बीकानेर में 7 और चुरू में 5 मौत हुई है. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने प्रदेश में स्वाइन फ्लू की प्रभावी रोकथाम के लिये बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित स्वाइन फ्लू पाजिटिव पाए गए व्यक्तियों के निवास व आसपास के घरों में सघन स्क्रीनिंग करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में बने पांचों नये राजकीए मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था के लिये एक-एक करोड़ सहित कुल पांच करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है.

इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने स्वाइन फ्लू सहित विभिन्न मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित काढ़ा पिलाने की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं. उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक औषधालयों में यह व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को स्थानीए स्तर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये आवश्यक परामर्श देने के निर्देश दिए हैं   

उन्होंने कहा कि 33 जिला चिकित्सालयों में स्वाइन फ्लू की जांच की व्यवस्था हेतु मशीनें व अन्य संसाधन उपलब्ध करवाये जाएंगे. उल्लेखनीय है कि प्रदेश में वर्तमान में 7 मेडिकल कालेजों, 1 डीएमआरसी व 4 निजी लैब सहित 12 स्थानों पर स्वाइन फ्लू की जांच सुविधायें उपलब्ध हैं. इन्हें मिलाकर प्रदेशभर में अब 50 स्थानों पर स्वाइन फ्लू जांच की सुविधायें उपलब्ध हो जाएगी.

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी, पुणे से आए विशेषज्ञों ने प्रदेश में स्वाइन फ्लू की रोकथाम एवं उपचार की व्यवस्थाओं को संतोषजनक बताया है. उन्होंने स्वाइन फ्लू से हो रही मौतों को रोकने के लिये अर्ली डिटेक्शन पर विशेष जोर देने के निर्देश दिए. स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रतीत होते ही तत्काल चिकित्सक से परामर्श लेकर आवश्यक उपचार प्रारम्भ कर देने से स्वाइन फ्लू को गंभीर होने से रोका जा सकता है. उन्होंने अर्ली डिटेक्शन एवं अर्ली ट्रीटमेंट की व्यवस्था पर विशेष बल दिया.

टेमी फ्लू की उपलब्धता सुनिश्चित करें
चिकित्सा मंत्री ने स्वाइन फ्लू के उपचार के लिये प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्तर तक टेमी फ्लू की उलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी चिकित्सा संस्थानों में इस समय पर्याप्त मात्रा में टेमी फ्लू उपलब्ध है. स्वाइन फ्लू की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये 10 लाख अतिरिक्त् टेमी फ्लू मंगवायी गयी है, इनमें से एक लाख की आपूर्ति हो चुकी है.

आयुर्वेदिक औषधियों का काढ़ा पिलाएं
डॉ. शर्मा ने व स्वाइन फ्लू सहित विभिन्न मौसमी बीमारियों की रोकथाम एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये आयुर्वेदिक औषधियों से निर्मित काढ़ा पिलाने की व्यवस्था के निर्देश दिए. उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक औषधालयों में यह व्यवस्था की जा रही है. उन्होंने आयुर्वेद चिकित्सकों को स्थानीय स्तर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिये आवश्यक परामर्श देने के निर्देश भी दिए.

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