राजस्थान: चूरू की सीटों पर बागी नेता कांग्रेस-BJP के लिए बने सिरदर्द

 प्रदेश के चुरू जिले की 6 विधानसभाओं के चुनाव का तापमान इन दिनों काफी गर्म है. 6 विधानसभाओं में से 3 विधानसभाओं का समीकरण बागी उम्मीदवार बिगाड़ रहे हैं तो वहीं जिले के सादुलपुर विधानसभा में मुकाबला 3 पार्टियों में त्रिकोणीय है. जबकि सरदारशहर विधानसभा में बीजेपी व कांग्रेस में टक्कर है तो चूरू में कांग्रेस और बीजेपी में इस बार कड़ा मुकाबला होगा.राजस्थान: चूरू की सीटों पर बागी नेता कांग्रेस-BJP के लिए बने सिरदर्द

वहीं अगर बागियों की बात की जाए तो तारानगर में बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए बागी उम्मीदवार मुसीबत खड़ी कर रहे हैं. बीजेपी ने इस बार युवा चेहरे राकेश जांगिड़ को मैदान में उतारा है. राकेश जांगिड़ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं जो कि नगर पालिका से सीधे विधानसभा के चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं उनका विरोध उनकी ही पार्टी के तिलोंका राम कस्वा बागी के रूप में खड़े होकर कर रहे हैं.

जबकि कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस ने दिग्गज नेता पूर्व सांसद नरेंद्र बुडानिया को चुनावी मैदान में उतारा है. जिनको कांग्रेस के बागी डॉक्टर सी एस बेद जो एक बार तारानगर से विधायक रहे हैं, कांग्रेस के बागी के रूप में खड़े हैं, बीजेपी व कांग्रेस दोनों के ही बागी दोनों पार्टियों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं, कहीं न कहीं माना जाए तो इस बार तारानगर में टक्कर कांग्रेस के बागी व कांग्रेस के प्रत्याशी के बीच ही नजर आ रही है.

वहीं सुजानगढ़ की बात की जाए तो सुजानगढ़ विधानसभा में कांग्रेस ने पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री कांग्रेस के दिग्गज मास्टर भंवरलाल मेघवाल को मैदान में उतारा है. भंवर लाल मेघवाल को उनकी ही पार्टी की संतोष मेघवाल बागी के रूप में टक्कर दे रही है. तो बीजेपी ने पुराने चेहरे खेमाराम मेघवाल को ही मैदान में उतारा है. खेमाराम मेघवाल को बीजेपी के ही बागी रामेश्वर भाटी टक्कर दे रहे हैं. सुजानगढ़ विधानसभा में भी कांग्रेस और बीजेपी दोनों के समीकरण उनके बागी उम्मीदवार बिगाड़ रहे हैं. जिससे दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ रही है.

वहीं रतनगढ़ विधानसभा की बात की जाए तो रतनगढ़ में बीजेपी ने इस बार पुराने कांग्रेसी व बसपा में रहे अभिनेश महर्षी को बीजेपी में शामिल कर प्रत्याशी के रूप में उतारा है. बीजेपी ने जब तीन बार लगातार रतनगढ़ से जीत चुके और मंत्री रहे राजकुमार रिणवा का टिकट काटा गया तो राजकुमार रिणवा अपनी पार्टी से बगावत कर बागी के रूप में खड़े हो गए. 

जबकि कांग्रेस ने यहां पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष भंवरलाल पुजारी को मैदान में उतारा है, तो भंवरलाल पुजारी को कांग्रेस के ही पूसाराम गोदारा बागी के रूप में टक्कर दे रहे हैं देखा जाए तो यहां पर भी बीजेपी व कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों की उन्हीं के बागी उम्मीदवार समीकरण बिगाड़ रहे हैं. सादुलपुर विधानसभा की बात की जाए तो यहां पर हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी-कांग्रेस व बसपा तीनों ही पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में है और तीनों में त्रिकोणीय संघर्ष है.

बीजेपी ने इस बार पूर्व सांसद रामसिंह कस्वा को मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने फिर कृष्णा पूनिया पर दांव खेला है. बसपा पार्टी ने यहां से वर्तमान विधायक रहे मनोज न्यांगली को ही मैदान में उतारा है. तीनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला टक्कर का है. चूरू विधानसभाकी बात की जाए तो बीजेपी ने मंत्री राजेंद्र राठौड़ को ही सातवीं बार यहां से मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने पूर्व विधायक हाजी मकबूल मंडेलिया के पुत्र युवा चेहरे रफीक मंडेलिया को मैदान में उतारा है दोनों के बीच इस बार मुकाबला टक्कर का होने की संभावना बनी हुई है.

रतनगढ़ विधानसभा में बीजेपी पार्टी के बागी रहे राजकुमार रिणवा का कहना है कि उन्होंने 2005 में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था और विजई हुए थे उसके बाद में बीजेपी में चले गए और बीजेपी में भी दो बार लगातार विजय हुए और मंत्री भी बने हैं लेकिन इस बार बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया वह चौथी बार फिर निर्दलीय के रूप में अपनी जीत सुनिश्चित करेंगे.

बीजेपी से प्रत्याशी अभिनेश महर्षी भी अपनी जीत के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं और वह कहते हैं आमजन उनके साथ है और वह इस बार भारी मतों से जीत हासिल करेंगे. अब देखना यह है कि अभिनेश महर्षि कांग्रेस में रहकर हार चुके हैं बसपा से भी उनको जीत हासिल नहीं हुई, अब बीजेपी से उनको किस तरह से आमजन का सहयोग मिलता है यह तो चुनाव परिणामों के बाद ही पता चल पाएगा. फिलहाल बागी नेताओं से निपटना बीजेपी-कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती नजर आ रही है.

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