राजस्थान चुनाव: इस वजह से धौलपुर से बीजेपी ने शोभारानी कुशवाहा को दिया टिकट

धौलपुर: बीजेपी ने धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में 2017 में हुए उपचुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली शोभारानी कुशवाहा पर बीजेपी ने दोबारा विश्वास जताते हुए उन्हें धौलपुर विधानसभा से दूसरी बार फिर मौका दिया है.शोभारानी कुशवाह महिला है. ऐसे में शोभारानी को दोबारा मौका दिया हैं. धौलपुर विधानसभा क्षेत्र में कुशवाहा समाज का वोट बैंक अधिक है. ऐसे में जातिगत वोट बैंक के आधार पर शोभा रानी को मौका दिया गया है. पार्टी अगर ब्राह्मण समाज के कैंडिडेट को मौका देती तो कुशवाहा समाज में नाराजगी हो सकती थी. जबकि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके अशोक शर्मा के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद धौलपुर सीट पर उनकी मजबूत दावेदारी मानी जा रही थी. राजस्थान चुनाव: इस वजह से धौलपुर से बीजेपी ने शोभारानी कुशवाहा को दिया टिकट

सूत्रों की मानें तो बीएसपी ने पहले सूची जारी करते हुए धौलपुर विधानसभा सीट से ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार पंडित किशनचंद्र शर्मा को मैदान में उतार दिया है, जिसके चलते एक ही समाज के दो प्रत्याशियों के आमने-सामने होने से वोट बैंक के नुकसान को देखते हुए अशोक शर्मा को किनारे करते हुए कुशवाहा समाज की शोभारानी दोबारा धौलपुर विधानसभा सीट से मौका दिया है. अप्रैल 2017 को हुए उप चुनाव में शोभारानी कुशवाह को 91548 वोट मिले थे और 38673 मतो से ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. बीजेपी की वर्तमान विधायक शोभारानी कुशवाह ह्त्या की साजिश में जेल सजा काट रहे बनवारी लाल कुशवाह की पत्नी हैं. बनवारी लाल कुशवाह ने 2013 में बीएसपी की टिकिट पर चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी.

बीजेपी ने जिले की बाड़ी विधानसभा सीट से जसवंत सिंह गुर्जर को चौथी बार मौका दिया है. जसवंत सिंह यहां से तीन वार बीजेपी की टिकिट और एक बार उमा भारती की पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं और उन्हें लगातार तीन बार हार का मुंह देखना पड़ा है. जसवंत सिंह गुर्जर बीजेपी की सीट पर सबसे पहले 1998 में चुनाव लड़े थे जिसमें उन्होंने जीत दर्ज की थी. 

इसके बाद बीजेपी ने जसवंत सिंह गुर्जर को 2003 और फिर 2013 में बाड़ी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था. 2008 में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने पर जसवंत सिंह गुर्जर ने उमा भारती पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए. जसवंत सिंह गुर्जर चार बार बाड़ी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें 1998 में उन्हें जीत मिली थी. बाड़ी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रहे रामहित कुशवाहा भी दावेदारी जता रहे थे लेकिन बीएसपी द्वारा अचानक जारी की गई प्रत्याशी की सूची में उनको शामिल करने के बाद बीजेपी के पास बाड़ी विधानसभा सीट पर कोई भी विकल्प नहीं बचा ऐसे में जसवंत सिंह गुर्जर को टिकट मिलने का रास्ता साफ हो गया.

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