राजस्थान का एक खूबसूरत हिल स्टेशन है माउंट आबू…

अगर आप सोचते है कि राजस्थान में सिर्फ रेत का समुंदर, चारो ओर गर्म हवाएं और रेगिस्तान है तो हम आपको बता दे कि यंहा हरी वादियों ठंडी हवाओं कि भी कमी नहीं है. हम बात कर रहे है राजस्थान में बसे माउंट आबू की.

जी हाँ पश्चिमी राजस्थान जहां रेगिस्तान की खान है तो शेष राजस्थान विशेषकर पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान की छटा अलग और निराली ही है. वहां सुंदर झीलें और प्रकृति के वरदान से भरपूर नजारे, हरी-भरी वादियों से सजी-धजी पहाडि़यां और वन्य जीवों से भरपूर अभयारण्य भी है. ‘माउंट आबू’ ऐसा ही एक अनुपम दर्शनीय स्थल है जो कि न केवल ‘डेजर्ट-स्टेट’ कहे जाने वाले राजस्थान का इकलौता ‘हिल स्टेशन’ है, बल्कि गुजरात के लिए भी ‘हिल स्टेशन’ की कमी को पूरा करने वाला ”सांझा पर्वतीय स्थल” है. माउंट आबू पश्चिमी भारत में राजस्थान के अरावली रेंज राज्य की सबसे ऊंची चोटी है. यह अरावली पर्वत पर विविधता लिए हुए एक अनोखा स्थल है. यह सिरोही जिले में स्थित है,यह ‘हिल स्टेशन’ चार हजार फीट की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यह आपको प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ आध्यात्मिक शांति भी प्रदान करता है. माउंट आबू कभी राजस्थान की जबरदस्त गरमी से बदहाल पूर्व राजघरानों के सदस्यों का ‘समर-रिसोर्ट’ हुआ करता था. यह राजस्थान के राजपूत नरेशों का गर्मियों का स्वास्थ्यवर्धक पर्वतीय स्थल था. कालांतर में इसे ”हिल ऑफ विजडम” भी कहा जाने लगा क्योंकि इससे जुड़ी कई धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं ने इसे एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विख्यात कर दिया है.

माउंट आबू से बहुत-सी पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महान ऋषि वशिष्ठ रहा करते थे. इसे ऋषियों-मुनियों का आवास स्थल माना जाता है.

यह हिल स्टेशन अपने ठंडे मौसम और वानस्पतिक समृद्धि की वजह से देश भर के पर्यटकों का पसंदीदा सैरगाह  बन गया है.माउंट आबू न केवल गर्मियों में सैलानियों का स्वर्ग है वरन यहां मौजूद ग्याहरवीं और तेहरवीं शताब्दी की अनूठी और बेजोड़ स्थापत्य कला के श्रेष्ठतम नमूने दिलवाड़ा के मंदिरों में देखे जा सकते है.

एक मान्यता के अनुसार ‘आबू’-‘हिमालय पुत्र’ के प्रतीक रूप में जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति अर्बद से हुई थी, जिसने भगवान शिव के पवित्र बैल नंदी को बलिष्ट सांप के चंगुल से बचाया था.

दर्शनीय स्थल-

अधर देवी मंदिर : शहर से लगभग 3 किलोमीटर उत्तर में विशाल चट्टान को काट कर बनाया गया है अधर देवी का मंदिर. करीबन 365 सीढ़ियां चढ़कर जाने के बाद आपको मंदिर के सबसे छोटे निचले द्वार से जाने के लिए झुक कर गुजरना पड़ता है. यह पर्यटकों का प्रिय स्थल है. इस मंदिर के आलावा यंहा के दिलवाड़ा जैन मंदिर, रघुनाथ मंदिर, गौमुख मंदिर भी काफी प्रचलित है. 

गुरु शिखर : शहर से 15 किलोमीटर दूर राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन की यह सबसे ऊंची चोटी है. गुरु शिखर समुद्र स्तर से लगभग 1722 मीटर ऊपर बसा हुआ है. इस चोटी पर चढ़ने का और वहां से नजारे देखने का अपना ही लुत्फ है.

बाग-बगीचे व पार्क : इस पहाड़ी स्थल में जगह-जगह खूबसूरत बाग-बगीचे बनाए गए हैं. इनमें अशोक वाटिका, गांधी पार्क, म्युनिसिपल पार्क, शैतान सिंह पार्क और टैरस गार्डन प्रमुख माने जाते हैं.

सनसेट पॉइंट : माउंट आबू के पर्यटन कार्यालय से 1.5 किलोमीटर दूर सनसेट पॉइंट है, जो कि बहुत लोकप्रिय है. यहां सूर्यास्त के दृश्य को देखने के लिए हर शाम भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं. चाहें तो आप यहां घोड़े से भी जा सकते हैं. यहां पर  रेस्तरां और होटलों भी उपलब्ध है. 

हनीमून पॉइंट : गणेश रोड से 2.5 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम में हनीमून पॉइंट है, जिसे अंद्रा पॉइंट भी कहते हैं. यह पॉइंट हरी-भरी घाटियों और मैदानों का मोहक दृश्यों से घिरा हुआ है. खासतौर पर शाम के समय नक्की झील के पास से जाना बड़ा ही खुशगवार लगता है. इसके अलावा यहां कई ऐसे पॉइंट हैं, जहां से आप इस सारे क्षेत्र की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं.

नक्की झील : राजस्थान के माउंट आबू में 3937 फुट की ऊंचाई पर स्थित नक्की झील लगभग ढाई किलोमीटर के दायरे में पसरी है..

टॉड रॉक : नक्की झील से कुछ दूरी पर ही स्थित टॉड रॉक चट्टान है जिसकी आकृति मेढक की है जो सैलानियों का ध्यान बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है.

संग्रहालय और कला वीथिका : संग्रहालय की आकर्षक वस्तुओं में छठी शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक की देवदासियों और नर्तकियों की नक्काशी की हुई श्रेष्ठ मूर्तियां हैं,यह संग्रहालय दो भागों में बंटा हुआ है. पहले भाग में स्थानीय आदिवासियों की झोपड़ी का चित्रण है. इसमें उनकी सामान्य जीवन शैली दर्शाई गई है. उनके हथियार, वाद्ययंत्र, महिलाओं के जेवर, कान के झुमके और परिधान वगैरह यहां रखे गए हैं. दूसरे भाग में नक्काशी की कुछ वस्तुएं रखी गई हैं. और राग-रागनियों पर आधारित कई लघु चित्र, सिरोही की कई जैन मूर्तियां, दरम्याने आकार की ढालें रखी गई हैं.

ब्रह्म कुमारी शांति पार्क : यह उद्यान बहुत ही शांत और खूबसूरत है. इसके प्राकृतिक वातावरण में शांति और मनोरंजन दोनों का एक साथ आनंद लिया जा सकता है. शांति पार्क अरावली पर्वत की 2 विख्यात चोटियों के बीच बना हुआ है. यह पार्क माउंट आबू में ब्रह्म कुमारी मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल है.

राजभवन : माउंट आबू, राजस्थान के महामहिम राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय भी है. प्रति वर्ष गर्मियां शुरू होने के बाद कुछ समय के लिए (एक-दो माह) माउंट आबू राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन कैंप बन जाता है. राजभवन में स्थित ‘कला दीर्घा’ दर्शनीय है. माउंट आबू में राजस्थान के साथ ही गुजरात सरकार का गेस्ट हाउस भी हैं.

वन्यजीव अभयारण्य : राज्य सरकार द्वारा 228 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य वर्ष 1960 में घोषित किया गया था. इस अभयारण्य में वानस्पतिक विविधता, वन्यजीव, स्थानीय व प्रवासी पक्षी आदि देखे जा सकते हैं. दिलवाड़ा के पास ऊंचाई पर स्थित बेलनाकार निरीक्षण स्थल से माउंट आबू का दृश्य और सालगॉव निर्मित वाच-टावर से वन्यप्राणी देखे जा सकते हैं.

कब जाएं –  जब गर्मियां सताएं तो माउंट आबू जा सकते है.  वैसे यहां पूरे सालभर जाया जा सकता है. सर्दियों में ऊंचाई की वजह से ठंड आसपास के बाकी मैदानी इलाकों से काफी ज्यादा रहती है. कड़ाके की सर्दी बड़े तो नक्की झील का पानी जम जाता है. सर्दियों के अलावा जाएं तो मोटे सूती कपड़े में काम चल सकता है. हालांकि शाम व रात पूरे सालभर ठंडक देगी.

कैसे पहुंचे – आप यंहा किस भी मार्ग का उपयोग करके पहुंच सकते है. वायु मार्ग,सड़क मार्ग, या रेल मार्ग तीनो ही यंहा तक पहुंचने के लिए उपलब्ध है.  

रेल मार्ग से : आबू रोड पर बने रेलवे स्टेशन से माउंट आबू आने तक 2 घंटे का समय लगता है. पश्चिम और उत्तर रेलवे की लंबी दूरी वाली महत्वपूर्ण गाड़ियां यहां अवश्य ठहरती हैं. यह अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है. माउंट आबू की पहाड़ से 50 मील उत्तर-पश्चिम में भिन्नमाल स्थित है. माउंट आबू का निकटतम रेलवे स्टेशन आबू रोड है जो कि मात्र 28 कि.मी. की दूरी पर स्थित है. माउंट आबू पर्वतीय स्थल के लिए यहां से टैक्सियां उपलब्ध रहती है।

हवाई मार्ग से : उदरपुर हवाई अड्डा इसके सबसे नजदीक है. यह माउंट आबू से 185 किलोमीटर दूर है. यहां से पर्यटक सड़क मार्ग से माउंट आबू तक जा सकते हैं. इसी प्रकार अहमदाबाद हवाई अड्डा 235 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, जबकि जोधपुर हवाई अड्डा 267 कि.मी. दूर है.

सड़क मार्ग से : देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा माउंट आबू पहुंचा जा सकता है. यह नेशनल हाइवे नंबर 8 और 14 के नजदीक है. एक छोटी सड़क इस शहर को नेशनल हाइवे नंबर 8 से जोड़ती है. दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है. राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं. अच्छी सड़कें होने के कारण टैक्सी से भी जा सकते हैं. वही निकटतम शहर उदयपुर मात्र 185 कि.मी. की दूरी पर है और उदयपुर से ईसवाल, गोगूंदा, जसवंत गढ़, पिंडवाड़ा होते हुए माउंट आबू पहुंचा जा सकता है. इसी प्रकार अहमदाबाद से वाया पालनपुर, इसकी दूरी 222 कि.मी. और वाया अम्बा जी 250 कि.मी. है. जोधपुर से माउंट आबू की दूरी 267 कि.मी., अजमेर से 360 कि.मी., जयपुर से 490 कि.मी., दिल्ली से 752 कि.मी; आगरा से 732 कि.मी. और मुंबई से 751 कि.मी. है.

कहां ठहरें : यहां 5 सितारा होटल की सुविधा वाले होटल नहीं है, लेकिन 2-4 सितारोंवाले होटल अच्छे हैं. इसके अलावा गेस्ट हाउस में भी ठहरा जा सकता है. माउंट आबू में ठहरने के लिए सरकारी और निजी होटल काफी तादाद में उपलब्ध है. इसके अलावा यहां गुजराती, राजस्थानी और भारतीय व्यंजनों के रेस्तरां भी बहुतायत में मौजूद हैं, अधिक जानकारी आप माउंट आबू की इस वेब साइट  http://www.mountabu.com/  पर क्लिक करके भी पा सकते है.

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