राजनीतिक नौटंकी: चुनाव में चुनौती देने की खूब बातें कीं लेकिन मौका आया तो स्‍टंट कर रण छोड़ गए

लोकसभा चुनाव 2019 में राजनीतिक नौटंकी भी खूब देखने को मिल रहा है। हरियाणा में भी ऐसी नौटंकी देखने को मिली। भाजपा से बागी होकर लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी बनाने वाले कुरुक्षेत्र के निवर्तमान सांसद राजकुमार सैनी इस बार खुद चुनाव मैदान में उतरने से कन्नी काट गए। सुर्खियों में बने रहने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सोनीपत में चुनाव लडऩे की चुनौती देते रहे, लेकिन ऐन मौके पर रण छोड़ दिया। प्रदेश में मंत्री, सांसद और विधायक रह चुके राजकुमार सैनी जिस तरह दस्तावेजों में कमी की दुहाई दे रहे, वह उनके समर्थकों को भी हजम नहीं हो रहा।

भाजपा से बागी हो नई पार्टी बनाने वाले सांसद राजकुमार सैनी के सियासी ड्रामे से समर्थकों को झटका
आरोप लगाए जा रहे हैं कि सैनी ने चुनाव लड़ने से बचने के लिए जानबूझकर कागज पूरे नहीं किए जिससे उनका नामांकन नहीं हो सका। दरअसल, सैनी नहीं चाहते थे कि वह किसी तरह के झमेले में पड़ें। जाट लैंड में सैनी के चुनाव लड़ने से प्रदेश में माहौल खराब हाेने का भी अंदेशा था।

बसपा से गठबंधन के बाद लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के हिस्से में भिवानी-महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम की सीटें आईं थी। इसके बावजूद राजकुमार सैनी सुर्खियों में बने रहने के लिए सोनीपत से हुड्डा के उतरने की स्थिति में चुनाव लडऩे का दंभ भरते रहे। नामांकन के अंतिम दिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पर्चा भर दिया, लेकिन सैनी गच्चा मार गए। उनका दावा है कि वह नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे, लेकिन कागजी कार्यवाही पूरी नहीं होने से वह ऐसा नहीं कर पाए।

लोसुपा के खाते में नहीं थी सोनीपत सीट, चुनाव लड़ने से बचने को कागज पूरे नहीं होने का बहाना

सैनी के विरोधियों का कहना है कि अब वह हुड्डा के चुनावी रण में देर से आने का बहाना बना रहे हैं, जबकि हकीकत में उनकी अपनी ही तैयारी अधूरी थी। कहा जा रहा कि सैनी केवल हुड्डा को चुनौती देने का स्टंट कर पॉलिटिकल माइलेज लेना चाहते थे। इसके अलावा सैनी के पास अपने हिस्से की कोई लोकसभा सीट भी खाली नहीं थी, लिहाजा वह चुनाव किस टिकट पर लड़ते, यह भी विचारणीय पहलू है।

ऐसे खुलती दावों की पोल

नामांकन के अंतिम दिन तक कोई भी प्रत्याशी रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) के पास नामांकन पत्र जमा कर सकता है। आरओ किसी प्रत्याशी का नामांकन लेने से मना नहीं कर सकता, चाहे कागज अधूरे क्यों न हों। नामांकन के बाद सभी प्रत्याशियों के फार्म की छंटनी होती है और तब कागज पत्रों की जांच के बाद ही नामांकन रद किया जा सकता है। सभी प्रत्याशी के पास अधिकार होता है कि वह आवेदनों की छंटनी के अंतिम समय तक अपने कागजी दस्तावेज पूरे कर सकता है।  राजकुमार सैनी भी नामांकन पत्र जमा कर बाद कागज पूरे कर सकते थे।

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