राजधानी में पानी की गुणवत्ता को लेकर गरमाई सियासत, दिनेश मोहनिया ने दी पासवान को चुनौती….

राजधानी में पानी की गुणवत्ता को लेकर इन दिनों सियासत गरमाई हुई है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने जहां दिल्ली में कई स्थानों का पानी पीने लायक नहीं होने का दावा किया है। वहीं दिल्ली सरकार व जल बोर्ड ने उनके इस दावे को हवा-हवाई करार दिया है। यही नहीं जल बोर्ड का तो यहां तक कहना है कि केंद्रीय मंत्री जिन सैंपल की बात कर रहे हैं, वहीं फर्जी हैं। ऐसे में राजधानी में पीने के पानी की वास्तविकता को जानने के लिए वी के शुक्ला ने जल बोर्ड के उपाध्यक्ष दिनेश मोहनिया से बात की है। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश।

पानी की किल्लत दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?

हम लोग 2015 में जब सत्ता में आए थे, तो दिल्ली की 63 फीसद आबादी को पानी पाइपलाइन से मिल रहा था, अब 92 फीसद लोगों को पाइपलाइन से पानी मिल रहा है। दूसरा केजरीवाल सरकार ने 130 एमजीडी पानी का प्रोडक्शन बढ़ाया है। 400 से अधिक कॉलोनियों में साफ पानी पहुंचाया गया है। इससे टैँकरों की आवाजाही कम हुई है।

पानी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहे हैं आप क्या कहेंगे?

सवाल नहीं उठ रहे राजनीति हो रही है, जबकि दिल्ली में स्वच्छ पानी की आपूर्ति हो रही है। जल बोर्ड का क्वालिटी कंट्रोल विभाग है, जो रोजाना पानी के 500 सैंपल लेता है। उनकी जांच होती है। दिल्ली में जनवरी से अभी तक पानी के डेढ़ लाख से अधिक सैंपल लिए गए हैं जिनमें 98 फीसद सही पाए गए हैं। फिर गुणवत्ता का सवाल कहां रह जाता है। फिर भी जो सवाल उठा रहे हैं, वह जहां चाहें वहां जांच करा लें। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री खुद कह चुके हैं कि दिल्ली का पानी स्वच्छ है।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान व बीआइएस ने जो सवाल उठाए हैं, उस पर क्या कहेंगे?

यह मामला पूरी तरह फर्जी है। केंद्रीय मंत्री पासवान आरओ कंपनियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। उन्होंने 11 स्थानों से पानी के सैंपल उठवाए। इनमें से 6 सैंपल तो फर्जी निकले। इसमें दो लोगों ने कहा कि उनके यहां से सैंपल नहीं लिए गए। एक व्यक्ति ने कहा कि पासवान की पार्टी का एक आदमी बोतल में पानी भर ले गया था। एक सैंपल पासवान जी की पार्टी के उपाध्यक्ष के घर का निकला। दो सैंपल में एक पासवान जी के कार्यालय और दूसरा उनके घर का है। यह पूरा आरओ कंपनियों का खेल है।

इसमें आरओ कंपनियों की क्या भूमिका हो सकती है ?

दरअसल अदालत ने कहा है कि 500 टीडीएस (टोटल डिसोल्वड सॉलिड) पानी में मिलेगा तभी आरओ लगाया जा सकता है। दिल्ली में 200 टीडीएस ही है। ऐसे में अदालत के आदेश पर आरओ कंपनियों को उनका धंधा चौपट होता दिख रहा है। इसलिए अब केंद्रीय मंत्री ने फर्जी सैंपल दिलवाकर लोगों में यह संदेश देने का प्रयास किया गया है कि आरओ लगना चाहिए।

आपके विधानसभा क्षेत्र संगम विहार में पानी की बड़ी समस्या रही है। इस पर क्या कहेंगे?

संगम विहार में पानी की कभी बड़ी समस्या थी। सौ फीसदी इलाके में टैंकर से पानी पहुंचता था। मगर अब पहले वाले हालात नहीं है। यहां की 70 फीसद कॉलोनियों में पानी की लाइन डालकर पानी पहुंचाया जा रहा है। 30 फीसद इलाका रह गया है यहां भी लाइन डालने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें भी 3 किमी तक लाइन डाली जा चुकी है।

भाजपा व कांग्रेस के लोगों का आरोप है कि पानी माफिया सक्रिय है?

माफिया इन लोगों की सरकारों के समय होते थे, अब नहीं हैं। दिल्ली के बची हुई आठ फीसद आबादी को पानी देना ही है। ऐसे में जब वहां लाइन नहीं है तो पानी टैंकर से ही पहुंचाना पड़ेगा। विरोधी कहते हैं कि इन लोगों को टैंकर से पानी मत दो अब सवाल है कि इन लोगों को फिर पानी दिया कैसे जाए।

आप ने पानी के सैंपल लेने का कार्यक्रम चलाया हुआ है, इसका क्या मकसद है?

दिल्ली का पानी पूरी तरह से स्वच्छ है। पूरा पानी फिल्टर्ड होता है। हम प्रतिदिन पानी के कम से कम 500 सैंपल टेस्ट कराते हैं। मगर कुछ लोगों ने राजनीतिक की है तो हमने 500 के अलावा अलग से सैंपल लेने का कार्यक्रम शुरू किया है। हम विभिन्न इलाकों से तीन हजार सैंपल लेंगे। इसलिए प्रतिदिन 300-400 तक सैंपल लिए जा रहे हैं। इनकी जांच कराकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

 दिल्ली में सीवर लाइन की क्या व्यवस्था है?

हमारी सरकार के समय में 300 कॉलोनियों में सीवर लाइन डाली गई है। अन्य इलाकों में सीवर लाइन डाली जा जारी है। पहले हम 340 एमजीडी सीवर का पानी शोधित कर यमुना में डालते थे अब 500 एमजीडी पानी शोधित कर यमुना में डालते हैं। यह प्रक्रिया लगातार जारी है। कोरनेशन पार्क में 70 एमजीडी और ओखला में 140 एमजीडी का प्लांट हम और लगा रहे हैं।

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