रत्न पहनने से नहीं बदली किस्मत, अब ज्योतिष को लौटाने पड़ेंगे 3 लाख रुपए

मुंबई. हमारे नवग्रह के रत्न पहनों और करोड़पति बनों’ ऐसे विज्ञापनों के जरिए लोगों को गुमराह करनेवाले ज्योतिषयों को उपभोक्ता मंच ने कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही मंच ने एक ज्योतिष और ज्वेलर कंपनी को अस्सी साल के बुजुर्ग के तीन लाख 20 हजार रुपए वापस लौटाने का आदेश दिया है, क्योंकि रत्न को पहनने से उसके जीवन में कोई बदलाव नहीं हुआ।
रत्न पहनने से नहीं बदली किस्मत, अब ज्योतिष को लौटाने पड़ेंगे 3 लाख रुपए
 
– गौरतलब है कि कवादू खंडाले नाम के व्यक्ति ने 2013 में एक सुप्रसिध्द ज्वेलर्स के विज्ञापन से प्रभावित होकर रत्न खरीदे थे।
– इस विज्ञापन में लिखा था कि ‘आप हमारे नवग्रह के रत्न पहने, भाग्योदय होगा। यदि तीन महीने के भीतर व्यक्ति के जीवन में बदलाव नहीं आया तो पूरी रकम वापस कर दी जाएगी।’
– महानगर के प्रभादेवी इलाके में रहनेवाले खंडाले ज्वेलर्स की दादर स्थित दुकान में गए और वहां से उन्होंने नीलम रत्न खरीदा।
– कुछ दिनों बाद खंडाले को दुकान से फोन आया कि उनके लिए नीलम भाग्यशाली नहीं है। उनके लिए पुखराज व माणिक रत्न भाग्यशाली है, इसलिए खंडाले ने दो लाख 90 हजार रुपए देकर दोनों रत्न खरीद लिए।
– रत्न देते समय ज्योतिष ने उन्हें आश्वस्त किया की यदि वे तीन महीने के भीतर करोड़पति नहीं बने तो सारे पैसे वापस कर दिए जाएंगे।
-तीन महीने बीत जाने के बाद जब खंडाले के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया तो उन्होंने दुकानदार व ज्वेलर्स से अपने पैसे वापस मांगे। पर दोनों ने पैसे देने से इनकार कर दिया। खंडाले ने उपभोक्ता मंच में शिकायत की।

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तय सीमा के भीतर रत्न नहीं लौटाए
– शिकायत के बाद मंच ने ज्योतिष व ज्वेलर्स की कंपनी को नोटिस जारी किया।
– जवाब में ज्वेलर की कंपनी ने खंडाले के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि खंडाले ने हमारी सलाह पर रत्न खरीदे थे। उन पर किसी ने दबाव नहीं बनाया था।
– यदि उन्हें रत्न सूट नहीं हुए तो उन्हें तीन दिन के भीतर लौटाने चाहिए थे। ऐसी शर्त रखी गई थी। लेकिन उन्होंने तय सीमा के भीतर रत्न नहीं लौटाए, इसलिए वे अपने पैसे मांगने के अधिकारी नहीं है।
– मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता मंच ने ज्वेलर्स की कंपनी को धोखाधड़ी का दोषी मानते हुए खंडाले को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ सारी रकम लौटाने का आदेश दिया।
– इसके साथ ही 25 हजार रुपए नुकसान भरपाई व पांच हजार रुपए मुकदमे के खर्च के रूप में देने का निर्देश दिया। इस तरह से कुल तीन लाख 20 हजार रुपए देने का आदेश दिया गया।
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