योगी समेत कई दिग्गजों ने झोंकी ताकत-सबने लगाया नेशनल मुद्दों पर दांव, लेकिन….

लखनऊ.यूपी निकाय चुनाव के तीसरे फेज के लिए चुनाव प्रचार सोमवार शाम को खत्म हो गया है। तीसरे चरण में 5 नगर निगम 233 नगर निकायों में 29 नवंबर को मतदान होना है। चुनाव के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कई जनसभाओं को संबोधित किया। सीएम योगी समेत सभी दलों के नेताओं ने चुनाव में जमकर रैलियां की हैं। लेकिन इस दौरान स्थानीय मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय मुद्दे छाए रहे। सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने स्थानीय मुद्दों की जगह केन्द्र की मोदी सरकार व राज्य की योगी सरकार के कामों की तारीफ की वहीं, विपक्षी दलों ने निकाय चुनावों में भी पीएम मोदी पर निशाना साधा। लेकिन किसी भी दल ने नगर निकाय के स्थानीय मुद्दों पर चर्चा नहीं की।योगी समेत कई दिग्गजों ने झोंकी ताकत-सबने लगाया नेशनल मुद्दों पर दांव, लेकिन....

क्या हैं स्थानीय मुद्दे

-नगर की सरकार की बात की जाए तो बेसिक कामों में सोशल सर्विस प्रोवाइड करना होता है। जैसे की सीवर लाइन, पानी और सड़कों की समस्यों का निदान करना।
-जन्म-मृत्य प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को सरल बनाना। सरलीकरण के मुद्दे पर किसी भी बड़े नेता ने चर्चा नहीं की।
-सड़कों की जाम की समस्या और फेरी नीति जैसे स्थानीय मुद्दे चुनावी कैंपन से नदारद रहे।
-महामारी (डेंगू और मलेरिया) जैसी गंभीर बीमारी को लेकर किसी भी बात पर चर्चा नहीं की गई है।
-मिलावट की समस्या स्थानीय निकाय की एक बड़ी समस्या है। ऐसे में किसी भी तरह की चर्चा नहीं की गई।
-नगर निगम द्वारा स्कूल भी संचालित किए जाते हैं पर किसी भी स्कूल की गुणवत्ता जैसे गंभीर विषयों पर चर्चा नहीं की गई।

ये मुद्दे रहे हावी

-स्थानीय निकाय चुनावों में इस बार सभी दल अपने सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। सीएम योगी समेत सभी दलों के दिग्गज नेताओं ने प्रचार की कमान संभाली और चुनाव मैदान में उतरे।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने की कई रैलियां

-निकाय चुनावों के प्रचार की शुरुआत सीएम योगी ने 14 नवंबर से अयोध्या-फैजाबाद नगर निगम से की। योगी ने चुनावों के लिए मैराथन सभाएं की और लोगों से बीजेपी को नगर में सरकार बनाने के लिए अपील की।

यूपी में कानून राज

-मुख्यमंत्री ने करीब हर चुनावी सभा में यूपी की कानून व्यवस्था को फोकस किया। उन्होंने कानून व्यवस्था और स्वच्छ प्रशासन का भरोसा दिलाते हुये कहा- “अब गुण्डाराज, अराजकता नहीं चलेगी।
-जमीनों से अवैध कब्जों को मुक्त कराने के लिये भू-माफिया एंटी टास्क फोर्स का गठन किया गया है। भू-माफियाओं के कब्जे से भूमि से अबैध कब्जा हटवाने के लिये अभियान चलाया जायेगा। अबैध कब्जा हटवाने में जो भी व्यय होगा वह भू-माफियाओं से वसूला जायेगा।

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किसानों को भी किया फोकस

-योगी ने अपने रैलियों में किसानों, व्यापारियों को विशेष फोकस किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के पैसे को सद्उपयोग होगा। अब केन्द्र सरकार के पैसे का पूरा प्रयोग किया जा रहा है।

केन्द्र सरकार की तारीफ

-सीएम योगी ने अपनी हर रैली में विपक्षियों पर जमकर निशाना साधा। पूर्व की सरकारों को भ्रष्टाचारी व केन्द्र सरकार पैसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
-वहीं, उन्होंने करीब सभी रैलियों में केन्द्र सरकार को योजनाओं की तारीफ करते हुए मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की। उन्होंने- “मोदी सरकार के कामों की तारीफ करते हुए कहा- जब से केन्द्र में बीजेपी की सरकार आई है देश विकास पथ पपर आगे बढ़ रहा है।

नदारद रहे स्थानीय मुद्दे

-सीएम योगी की सभाओं में स्थानीय मुद्दे नदारद रहे। उन्होंने स्थानीय मुद्दों पर फोकस करने के जगह अपनी सरकार द्वारा किए गए कामों को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की।

आजम खान

-सपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान ने भी सपा उम्मीदवारों के पक्ष में कई रैलियां की। उन्होंने लोगों से सपा की उम्मीदवारों के पक्ष में वोट डालने की अपील की, लेकिन भी बयानों में स्थानीय मुद्दों की जगह तीन तलाक, राम मंदिर जैसे मुद्दों को फोकस किया।
-वहीं, आजम खान के निशाने पर पीएम मोदी व यूपी के सीएम रहे। उन्होंने कहा था- “राम-कृष्ण हमारे पूर्वज हैं, लेकिन आप भी तो मानिए कि पैगंबर मोहम्मद साहब आपके पूर्वज थे।” आजम ने ये बयान रविवार को उस वक्त दिया, जब वे संभल से नगरपालिका चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ रहीं कैंडिडेट के समर्थन में स्पीच दे रहे थे।

राजबब्बर

-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्र ने भी कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिताने के लिए कई रोड शो और जन सबाए की। इस दौरान उन्होंने लोगों से कांग्रेस को वोट देने की अपील तो की लेकिन स्थानीय मुद्दों की जगह पीएम मोदी और सीएम योगी पर ही निशाना साधते रहे।
-निकाय चुनावों में भी कई बार GST का जिक्र किया गया।
-वारणासी में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने पीएम मोदी पर ही निशाना साधा। उन्होंने कहा- “मोदी को प्रधानमंत्री का पद वाराणसी से सांसद बनने के बाद मिला, लेकिन सवाल ये है की वाराणसी को क्या मिला”।

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क्या कहना है जानकारों का

-सीनियर जर्नलिस्ट दिलीप अवस्थी का कहना है- “आज के दौरे में जो चुनाव हो रहे हैं। वो हैं होते तो स्थानीय है लेकिन प्रचार के लिए सभी पार्टियां बड़े नेताओं को प्रचार के लिए उतार रही है। ऐसे में इन नेताओं को वास्तव में स्थानीय मुद्दों की सही जानकारी नहीं होती है जिस कारण से ये नेता स्थानीय निकाय चुनावों में भी देश और प्रदेश स्तर के मुद्दों पर चर्चा करते हैं।”

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