योगी का खौफ: घपला न खुले इसलिए बीज निगम के अफसरों ने जमा करा दिए 98.80 लाख

प्रदेश के कृषि विभाग में हैरत में डालने वाला एक मामला सामने आया है। बीज बिक्री में घपला करने वाले अफसरों और कर्मचारियों ने उनकी करतूत सामने न आ जाए इसलिए गुपचुप सरकारी खाते में 98.80 लाख रुपये जमा करवा दिए। उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम के कानपुर के परियोजना अधिकारी निराकार सिंह ने मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट में बताया है कि रकम सरकारी खाते में आ गई है।योगी का खौफ: घपला न खुले इसलिए बीज निगम के अफसरों ने जमा करा दिए 98.80 लाख

बहरहाल ये रकम किसने जमा कराई निगम को इसका पता नहीं है। इसे भ्रष्टाचारियों में योगी सरकार के खौफ के रूप में देखा जा रहा है।

कृषि विभाग हर साल रबी के सीजन में बीज विकास निगम से करीब सवा सौ करोड़ रुपये के बीज खरीदता है। इन्हें अनुदान पर किसानों को वितरित किया जाता है।

नवंबर-दिसंबर में बीज विकास निगम ने करीब 17 करोड़ रुपये के 14 बिल भुगतान के लिए कृषि निदेशालय को भेजे। इनकी जांच की गई तो गेहूं, चना, मटर और मसूर के 2800 क्विंटल बीज की आपूर्ति के इटावा के चार बिल फर्जी मिले। इन बीजों को स्टोर से सीधे खुले बाजार में बेच दिया गया और रकम हड़प ली गई।  

जांच के लिए लिखा तो जमा करा दिए
मामला पकड़ में आने पर कृषि निदेशालय ने भुगतान पर रोक लगा दी और बीज विकास निगम को जांच के लिए लिखा। साथ ही सभी जिला कृषि अधिकारियों से आपूर्ति का सत्यापन भी करवाया। जांच में इटावा में दिखाई गई फर्जी आपूर्ति में 98.80 लाख रुपये का घपला मिला। इस खबर को ‘अमर उजाला’ ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। खबर का संज्ञान मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी लिया था। इसलिए कार्रवाई से बचने के लिए बीज निगम के घपलेबाज कार्मिकों ने चुपचाप सरकारी खाते में रकम जमा करवा दी।

घपले के 98.80 लाख आठ बार में सरकारी खाते में जमा कराए

बीज बिक्री में घपला करने वाले अफसरों और कर्मचारियों ने करतूत खुलने के डर से सरकारी खाते में दो दिन में घपले की रकम जमा करा दी। 98.80 लाख रुपये आठ बार में जमा कराए गए। बीज विकास निगम के कानपुर के परियोजना अधिकारी निराकार सिंह ने प्रबंध निदेशक को भेजे पत्र में लिखा है कि 5 दिसंबर 2018 को 22 लाख रुपये संग्रह खाता में जमा किए गए। 

6 दिसंबर 2018 को सात बार में क्रमश: 22.48 लाख रुपये, 10 लाख, 10 लाख, 10 लाख, 10 लाख, 4.32 लाख और 10 लाख रुपये जमा किए गए। जब, संग्रह खाते में आई राशि के बारे में विपणन अधिकारी, कानपुर अवधेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने रकम जमा कराने से इन्कार कर दिया।

रकम किसने जमा कराई, इसकी पड़ताल क्यों नहीं?
परियोजना अधिकारी निराकार सिंह के पत्र में इसका कोई जिक्र नहीं है कि घपले वाली रकम नकद या आरटीजीएस के माध्यम से संग्रह खाते में जमा कराई गई। हालांकि, निगम सूत्रों का कहना है कि राशि नकद ही खाते में जमा कराई गई है। जाहिर है कि इतनी रकम को जमा करने के लिए हर बार पैन कार्ड लगाना अनिवार्य है। 

लेकिन, अभी तक अफसरों ने इसकी जांच कराना मुनासिब नहीं समझा कि इसमें किसका पैन कार्ड लगाया गया ताकि असली गुनहगारों तक पहुंचा जा सके। इस बारे में बीज विकास निगम के एमडी एसके खरे से संपर्क करने की कोशिश की गई, पर उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ होने की वजह से बात नहीं हो सकी।

अमर उजाला ने मामले को प्रमुखता से उठाया था

मामला पकड़ में आने पर कृषि निदेशालय ने भुगतान पर रोक लगा दी और बीज विकास निगम को जांच के लिए लिखा। साथ ही सभी जिला कृषि अधिकारियों से आपूर्ति का सत्यापन भी करवाया। जांच में इटावा में दिखाई गई फर्जी आपूर्ति में 98.80 लाख रुपये का घपला मिला। खबर का संज्ञान मुख्यमंत्री कार्यालय ने भी लिया। इसलिए कार्रवाई से बचने के लिए बीज निगम के घपलेबाज कार्मिकों ने चुपचाप सरकारी खाते में रकम जमा करवा दी।
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