यूपी में सात जिलों के पुलिस कप्तान समेत 10 आईपीएस का तबादला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले का दौर जारी है। प्रदेश की योगी सरकार ने रविवार आधी रात के बाद दस आईपीएस अधिकारियों का और तबादला कर दिया। इसमें सात जिलों के पुलिस कप्तान भी बदले गये हैं। शासन द्वारा जारी तबादला सूची के अनुसार महराजगंज, गोंडा, बरेली, श्रावस्ती, जौनपुर, कासगंज और मऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक व पुलिस अधीक्षकों को बदल दिया गया है। इन जिलों में नए पुलिस कप्तान तैनात किए गए हैं। महराजगंज के पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवान को बरेली का वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बनाया गया है और बरेली में अब तक एसएसपी रहे शैलेष कुमार पांडेय गोंडा के पुलिस अधीक्षक नियुक्त किये गये हैं। वहीं गोंडा के पुलिस अधीक्षक राजकरन नैय्यर को जौनपुर का नया पुलिस कप्तान बनाकर भेजा गया है और जौनपुर में अब तक पुलिस अधीक्षक रहे अशोक कुमार ईओडब्ल्यू लखनऊ के एसपी नियुक्त किये गये हैं।
लखनऊ में अब तक पुलिस अधीक्षक सतर्कता अधिष्ठान के पद पर तैनात प्रदीप गुप्ता को पुलिस अधीक्षक महराजगंज बनाकर भेजा गया है। पुलिस महानिदेशक मुख्यालय से अरविंद कुमार मौर्या को श्रावस्ती का का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है और श्रावस्ती के एसपी अनूप कुमार सिंह मुरादाबाद में पीएसी की 23वीं वाहिनी के सेनानायक बनाये गये हैं। इसके अलावा कासगंज के पुलिस अधीक्षक घुले सुशील चंद्रभान मऊ के नये पुलिस अधीक्षक नियुक्त किये गये हैं और मऊ में अब तक एसपी के पद पर तैनात मनोज कुमार सोनकर को कासगंज का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। 23वीं वाहिनी पीएसी मुरादाबाद के सेनानायक कुंवर अनुपम सिंह सतर्कता अधिष्ठान लखनऊ में पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किये गये हैं।
गौरतलब है कि योगी सरकार पिछले चार दिन से लगातार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर रही है। शनिवार देर रात तीन जिलाधिकारी समेत छह आईएएस अधिकारियों का तबादला किया गया था। इससे पहले शुक्रवार की रात आठ जिलाधिकारियों समेत 15 आईएएस अधिकारी बदले गये थे। हटाए गए आठ जिलाधिकारियों में से सात को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया है। इससे एक दिन पहले सरकार ने आठ जिलों के पुलिस कप्तान समेत 13 आईपीएस अधिकारियों का तबादला किया था। शासन से जुड़े सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार अभी कई और बड़े अधिकारियों का तबादला करेगी। सूत्रों ने संकेत दिया है कि सरकार खराब छवि वाले आईएएस व आईपीएस अधिकारियों को महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रखना चाहती है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरुप पिछले दो-तीन सालों से एक ही जिले में जमे जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों के कामों की शासन स्तर से लगातार समीक्षा की जा रही है।

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