लोकसभा में भाषण के दौरान यूपी के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यूपी में अभी बहुत से काम बंद होने वाले हैं। देखिए, कौन से काम बंद हो सकते हैं।
छेड़छाड़ से जुड़े अपराध
सीएम योगी आदित्यनाथ पहले भी मुद्दा उठाते हैं कि यूपी में महिलाओं से जुड़े छेड़खानी जैसे अपराध ज्यादा है। ऐसे अपराधों पर नकेल कसने के लिहाज से हालांकि एंटी रोमियो दल का गठन किया जा चुका है, जिसने कि लखनऊ, वाराणसी समेत कई जिलों में काम शुरू भी कर दिया है।
आईजी डॉ. एन रविंदर ने जोन के दस जिलों के पुलिस कप्तानों को ये निर्देश दिए। स्पष्ट किया कि पुलिस के कामकाज का तरीका ऐसा हो कि जनता फर्क महसूस करे। सभी थानेदारों, क्षेत्राधिकारियों और एडिशनल एसपी की परफारमेंस रिपोर्ट संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक से तलब की जा रही है।
अवैध बूचड़खाने
योगी आदित्यनाथ के सीएम बनते ही अवैध बूचड़खाने चलाने वालों में हड़कंप की स्थिति थी। इलाहाबाद, मेरठ, गाजियाबाद और वाराणसी समेत पूरे सूबे में अवैध बूचड़खाने बंद होने लगे। क्षेत्र में अवैध बूचड़खानों और मीट शॉप का काउंट डाउन शुरू हो गया है।
नगर पालिका की ओर से अवैध बूचड़खानों और मीट शॉप संचालकों को नोटिस जारी किए हैं। 24 घंटे के भीतर बंद नहीं होने पर सीज और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
नगर पालिका ने अवैध रूप से चल रहे दर्जनभर बूचड़खानों और 50 से ज्यादा बिना लाइसेंस चल रहीं मीट शॉप के संचालकों को नोटिस जारी किए हैं।
दंगों पर नकेल
सपा कार्यकाल के दौरान यूपी में 403 दंगे हुए। योगी सरकार की प्रमुख चुनौती यही थी कि इन दंगों पर नकेल लगाई जा सके। लोकसभा में भाषण के दौरान भी सीएम योगी ने वादा किया था कि उनकी प्राथमिकता यूपी की जनता को सुशासन देने की है। वे सभी वर्गों को साथ लेकर चलेंगे। पिछले कार्यकाल के दौरान पूरे यूपी में दंगे हुए, लेकिन उन्होंने गोरखपुर समेत पूर्वाचल में कोई दंगा नहीं होने दिया, अब यही व्यवस्था पूरे यूपी में लागू करेंगे।
पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि थाना प्रभारी और क्षेत्राधिकारी जनता की शिकायतों पर पूरी गंभीरता बरतें और उनका तत्परता
से समाधान कराएं। जनता को बार-बार थाने का चक्कर काटने के लिए विवश होना पड़ा तो जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा।
खनन बेल्ट पर शिकंजा
सूबे में सत्ता परिवर्तन होते ही खनन बेल्ट और वीआईपी सिंडिकेट पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है। जिलाधिकारी ने गिट्टी परिवहन के नाम पर तय धनराशि से वीआईपी वसूली बंद करा दी है। खनिज मूल्य, टैक्स और खर्च आदि जोड़कर एक पन्ना परमिट का दाम 4500 पड़ता है जबकि सिंडिकेट प्रति पन्ना परमिट 6250 रुपये में पट्टेधारकों को देता था। इनमें से 1750 रुपये वीआईपी के नाम पर लिए जाते थे। उधर, वीआईपी बंद होने से लखनऊ से लेकर जिले के सफेदपोश और कुछ अफसरों के होश उड़ गए हैं। चूंकि प्रति परमिट के हिसाब से वसूले जाने वाले वीआईपी शुल्क से शासन से लेकर स्थानीय स्तर पर लोगों में मैनेज करने में खर्च होता था। ऐसे कईयों की आमदनी बंद हो गई है।
पियक्कड़ भी लपेटे में
मनचलों के अलावा पियक्कड़ भी योगी सरकार की नजर में हैं। पियक्कड़ों के खिलाफ कार्रवाई के लिए थाना स्तर पर रोजाना अभियान चलाया जाए। खासकर स्कूल, कॉलेजों और शराब की दुकानों के आसपास पर्याप्त निगरानी कर ऐसे तत्वों की धरपकड़ की जाए।