यहां बनाया जाता है मिट्टी का रावण, विजयदशमी पर दहन नहीं करते हैं कुछ ऐसा
वैसे कोटा का रावण दहन भी बेहद खास है. पूरे देश में से कोटा में दशहरे का अलग ही नजारा होता है. इस बार कोटा में 125 वां राष्ट्रीय दशहरा मनाया जा रहा है.
एक ओर जहां देशभर में रावण का दहन होगा. वहीं ये तस्वीरें ऐसी हैं जो बेहद अनोखी हैं. यहां रावण मिट्टी का होता है और उस रावण को जलाया नहीं बल्कि पैरों से कुचला जाता है.
बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व यानी दशहरा. देशभर में शुक्रवार को अलग अलग जगह रावण के पुतलो का दहन होगा. वहीं कोटा के नान्ता में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यहां रावण को जलाया नहीं कुचला जाता है.
एक ओर जहां देशभर में रावण का दहन होगा. वहीं ये तस्वीरें ऐसी हैं जो बेहद अनोखी हैं. यहां रावण मिट्टी का होता है और उस रावण को जलाया नहीं बल्कि पैरों से कुचला जाता है. कोटा के नान्ता इलाके में जमीन पर मिट्टी का रावण बनाया जाता है और फिर सभी लोग उस मिट्टी के रावण पर कूदते हैं और उसे ध्वस्त किया जाता है.
ये परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है और इस परंपरा की एक अनोखी झलख यहां देखने को मिलती हैं. लिम्ब्जा माता के द्वार से इस उत्सव की शुरुआत होती है. नवरात्र के पहले दिन इस रावण को ये रूप दे दिया जाता है और फिर विजयादशमी पर इस रावण के मिटटी के रूप को पैरो से रोंद दिया जाता है. इसके बाद इस मिटटी के ऊपर अखाड़ा लगाया जाता है क्योंकि ये लोग मल्ल योद्धा होते हैं इसलिए समाज के सभी पहलवान एक एक कर इसी मिट्टी पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं.
वैसे कोटा का रावण दहन भी बेहद खास है. पूरे देश में से कोटा में दशहरे का अलग ही नजारा होता है. इस बार कोटा में 125 वां राष्ट्रीय दशहरा मनाया जा रहा है. यहां 101 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन होगा. अहंकारी रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले भी जलाए जाएंगे. सबसे पहले गढ़ पैलेस से भगवान लक्ष्मीनारायण की सवारी निकाली जाएगी जब ये सवारी गढ़ पैलेस से दशहरा मैदान पहुंचेगी तो राजपरिवार के सदस्य रावण दहन करेंगे.
कोटा के राष्ट्रीय दशहरे में जब बुराई रूपी रावण का अंत होता हे तो हजारों की तादाद में लोग दशहरे मैदान में पहुंचते हैं ओर बुराई रूपी अहंकारी रावण के अंत का गवाह बनते हैं.