मोदी सरकार-दो के पहले पूर्ण बजट में ढांचागत मजबूती पर जोर रहने के आसार

नई दिल्ली। मोदी सरकार-दो के पहले पूर्ण बजट में ढांचागत मजबूती पर जोर रहने के आसार हैं। इसमें सरकार की दीर्घकालिक योजनाओं के ज्यादा प्रावधान होंगे, लेकिन आयकर व किराये की आवासीय परियोजनाओं में राहत मिल सकती है। बजट को अंतिम रूप देने से पहले सरकार और भाजपा ने सभी वर्गों से विस्तृत संवाद किया है, ताकि उसे समावेशी स्वरूप दिया जा सके।
सूत्रों के अनुसार सरकार इस बजट से वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत बनाने पर बल देगी। चूंकि सरकार के पास चार साल से ज्यादा का समय है, इसलिए वह लोक लुभावन घोषणाओं से बचेगी और कुछ मोर्चों पर बड़े व कड़े फैसले भी लेगी। हालांकि, इसमें गरीब व मध्यम वर्ग को साधा जाएगा। खासकर वेतनभोगी वर्ग को, जिसकी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। आयकर में इस बार कुछ राहत मिलने की संभावना है। पिछले बजट में सरकार ने कॉरपोरेट कर में राहत दी थी। माना जा रहा है कि अब आम आदमी का नंबर है और उसे साधा जाएगा।
सरकार के लिए 2022 का एजेंडा महत्वपूर्ण है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार के लिए 75 सूत्री एजेंडा तैयार किया था। सरकार इस बजट से उसे आगे बढ़ाने का काम करेगी। इसमें एक बड़ा मिशन सबको आवास मुहैया कराने का है। इसका लक्ष्य 2022 का है, लेकिन इसे उसके पहले ही पूरा किया जाना है। सूत्रों के मुताबिक अपना घर देने के साथ किराये की विभिन्न आवासीय योजनाओं को भी सरकार बढ़ावा देगी, ताकि आवासीय समस्या को हल किया जा सके। नौकरीपेशा वर्ग जिसका लगातार स्थानांतरण होता रहता है, उसके लिए ऐसे आवास बेहद अहम होंगे। इससे लोगों के कई शहरों में अपना मकान रखने की प्रवृत्ति कम होगी।
बजट पर विभिन्न वर्गों से संवाद में सरकार को जो प्रतिक्रिया व सुझाव मिले हैं, उनमें पार्टी से मिले सुझाव भी बेहद अहम हैं। पार्टी गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ मध्यम वर्ग के लिए ज्यादा सहूलियतें चाहती है। उसका मानना है कि गैर-सरकारी वेतनभोगी वर्ग और छोटे व्यापारियों को मजबूत करने की जरूरत है। ऐसे में वेतनभोगी वर्ग को आयकर व व्यापारी वर्ग को जीएसटी आदि में राहत मिल सकती है।

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