मेट्रो में रोजाना आ रही है तकनीकी खराबी, जानिए- किस रूट के लोग ज्यादा होते हैं परेशान
दिल्ली मेट्रो में लगातार सामने आ रहीं तकनीकी खराबी की घटनाएं थम नहीं रहीं हैं। कई हफ़्तों से मेट्रो मे चल रही तकनीकी खराबी के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यह अलग बात है कि डीएमआरसी बार-बार यह दावे कर रहा है कि समस्या को तत्काल ठीक कर लिया जाता है, लेकिन इससे आखिरकार परेशानी तो लाखों यात्रियों को ही आ रही है। तकनीकी खराबी के चलते मेट्रो ट्रेनों की स्थिति यह है कि तकरीबन हर दूसरे दिन लाखों यात्रियों का परेशानी पेश आती है।
ताजा मामले में शुक्रवार सुबह तकरीबन एक घंटे तक ब्लू लाइन रूट पर तकनीकी खामी ने मेट्रो के पहिये थाम लिए। इसके चलते मेट्रो स्टेशनों पर काफी देर तकर अफरातफरी की स्थिति बनी रही। द्वारका सेक्टर-21 से चली मेट्रो शादीपुर स्टेशन पर तकरीबन 10 मिनट तक रुकी रही है। इस बारे में मेट्रो अधिकारियों ने कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी। इसको लेकर लोगों में काफी नाराजगी नजर आई।
वहीं, दिल्ली मेट्रो के प्रवक्ता ने बताया कि द्वारका से करोल बाग सेक्शन के बीच तकनीकी सिग्नल में बार-बार दिक्कत आई, जिसके कारण मेट्रो सेवा मे दिक्कत होने लगी। सिग्नल ठीक से नहीं आने पर ट्रेनों की गति धीमी रही और कई ट्रेनों को बार-बार रोक-रोक कर चलाना पड़ा।
इससे पहले बृहस्पतिवार को करोलबाग और रामकृष्ण आश्रम मेट्रो स्टेशनों के बीच ओवरहेड तारों से जुड़ी तकनीकी गड़बड़ी के कारण दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन की सेवाएं 90 मिनट तक बाधित रहीं।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा है कि बृहस्पतिवार दोपहर दो बजकर पांच मिनट पर तकनीकी गड़बड़ी की सूचना मिली, जिसके चलते 50 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर सेवाएं प्रभावित हुईं। इस दौरान यात्रियों को बहुत अधिक असुविधा का सामना करना पड़ा।
रेड लाइन पर आई मेट्रो ट्रेनों में खराबी
बृहस्पतिवार को रेड लाइन पर एक बार फिर तकनीकी कारण से दोपहर में मेट्रो का परिचालन करीब आधा घंटा प्रभावित रहा। इसके कारण यात्रियों को सफर करने में परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं अगर बात इससे पहले भी रेड लाइन पर दोपहर डेढ़ बजे शाहदरा से शास्त्री पार्क के बीच धीमी गति से मेट्रो का परिचालन हुआ। इस कॉरिडोर पर करीब दो बजे तक परिचालन सामान्य हुआ। रेड लाइन पर बुधवार को भी ओएचई (ओवर हेड इक्यूपमेंट) में खराबी आने से घंटा भर परिचालन प्रभावित रहा था।
गौरतलब है कि दिल्ली और एनसीआर (National Capital Region) की लाइफलाइन बन चुकी दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (Delhi Metro Rail Corporation) की मेट्रो ट्रेन दुनिया की दूसरी सबसे महंगी सेवाओं में शुमार है, बावजूद इसके लोगों की पहली पसंद यही है। लेकिन पिछले कुछ सालों से लगातार आ रही तकनीकी खामियों ने इसे ‘बदनाम’ कर दिया है। जिस तरह मेट्रो ट्रेनों की तकनीकी खामी रोजाना सामने आ रही है, ऐसे में जल्द ही इसे अविश्वसनीय सेवा का दर्जा हासिल हो जाए तो ताज्जुब नहीं होगा। आलम यह है कि महीने में औसतन तीन-चार बार मेट्रो सेवा में तकनीकी खामी आना अब सामान्य बात हो गई है। यहां पर बता दें कि मेट्रो में तकरीबन 27 लाख रोजाना सफर करते हैं। इनमें फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा के यात्रियों को शामिल कर लिया जाए तो यात्रियों की संख्या 30 लाख के आसपास हो जाती है।
पैसा ज्यादा लेकिन सुविधाएं मिलती हैं कम
सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट (CSE) ने 2018 के लिए लागत और कमाई पर यूबीएस रिपोर्ट के आधार पर किए गए अध्ययन में यह दावा किया था कि दुनिया की सभी मेट्रो सेवाओं में दूसरी सबसे ज्यादा महंगी मेट्रो सेवा है। कहने का मतलब यात्रियों से उनका सफर सुलभ कराने के नाम पर पैसे तो खूब लिए जा रहे हैं, लेकिन सुविधाओं का स्तर गिरता जा रहा है। पिछले एक सप्ताह की बात करें तो 18 मई को मजेंट लाइन पर दो घंटे तक यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा थो चार दिन के भीतर फिर येलो लाइन पर तकनीकी खामी ने दफ्तर, कॉलेज और अन्य काम खराब करने के साथ उनका पूरा दिन बर्बाद कर दिया। लोगों का सवाल करना लाजिमी है कि DMRC ने पैसे तो खूब बढ़ाए, लेकिन सुविधाओं का स्तर गिरा दिया।
साख पर लग रहा बट्टा
दिल्ली मेट्रो में लगातार आ रही तकनीकी खराबी से इसकी साख पर बट्टा लग रहा है। ब्लू लाइन समेत कई रूट्स पर खामियों के चलते अब दिल्ली मेट्रो बदनाम होने लगी है। लोग तो यहां तक कहने लगे हैं कि पहले तय समय के लिए जानी जाने वाली मेट्रो गंतव्य तक समय से पहुंचाएगी? इस पर संदेह होने लगा है। मेट्रो की यह साख एक दिन में खराब नहीं हुई है, बल्कि पिछले दो साल के दौरान तकनीकी खामी के मामले बढ़ गए हैं। आलम यह है कि तकरीबन हर महीने में एक से दो बार मेट्रो के किसी न किसी रूट पर तकनीकी खामी आती है और इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है यात्रियों का।
ब्लू लाइन में आती है ज्यादा खराबी
मेट्रो से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इंटरलॉकिंग प्वाइंट बने सिग्नल की दिक्कत के चलते ब्लू लाइन दिल्ली मेट्रो की सबसे लंबी लाइन है। ब्लू लाइन ट्रैक पर मेट्रो ट्रेनें रोजाना 700 से अधिक फेरे लगाती हैं। इस लाइन पर द्वारका सेक्टर-नौ, जहांगीरपुरी, राजौरी गार्डन, करोल बाग, बाराखंबा रोड, यमुना बैंक, नोएडा सेक्टर-16, आनंद विहार मेट्रो स्टेशन पर मुख्य आठ इंटरलॉकिंग प्वाइट हैं। इन्हीं इंटरलॉकिंग प्वाइंट से ट्रेन की लोकेशन व जानकारी ऑपरेशनल कंट्रोल रूम तक पहुंचती है। कभी-कभार इन्हीं इंटरलॉकिंग प्वाइंट से सिग्नल आना बंद हो जाता है, तो मेट्रो ट्रेनें ठप पड़ जाती हैं। लोगों की सुरक्षा के लिहाज से ट्रेनों का संचालन तत्काल रोकना पड़ता है। बेशक ब्लू लाइन पर सबसे ज्यादा तकनीकी खामी आता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मेट्रो को उसके हाल पर और यात्रियों को असुविधा की लत लगा दी जाए।