मुख्तार अंसारी के करीबी उमेश सिंह की 06.5 करोड़ रुपये की सम्पत्ति जब्त

मऊ। उत्तर प्रदेश में माफिया गिरोहों के खिलाफ अभियान जारी है। इस क्रम में मंगलवार को मुन्ना सिंह की हत्या का सह अभियुक्त और मुख्तार अंसारी के आईएस-191 गिरोह के सदस्य उमेश सिंह की 06.5 करोड़ रुपये की सम्पत्ति मऊ पुलिस के द्वारा जब्त की गयी है।

पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने बताया कि आपराधिक माफिया और उनके गुर्गों के विरुद्ध अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में मंगलवार को मुख्तार अंसारी गैंग के सबसे करीबी और त्रिदेव ग्रुप के मालिक उमेश सिंह द्वारा 06.5 करोड़ की अपराध व अवैध रूप से अर्जित धन से बनाई गई संपत्ति मऊ पुलिस द्वारा जब्त की गई है। अर्जित किए गए धन से लगभग 3400 वर्ग मीटर भूखंड पर निर्मित शॉपिंग मॉल,कंपलेक्स जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 5.5 करोड़ व साथ ही साथ लगभग एक करोड़ मूल्य के 08 वाहनों (फोर्ड एनडेवर 01, हुंडई क्रेटा 02, इंडिका 01, ट्रक 01, मोटरसाइकल 03) गैंगस्टर एक्ट थाना कोतवाली के तहत जब्त कराई गई। इस प्रकार कुल लगभग 6.5 करोड़ कीमत की प्रॉपर्टी जब्त की गई है

एसपी ने बताया कि कोयला माफिया उमेश सिंह त्रिदेव कंस्ट्रक्शन कंपनी त्रिदेव कोल डिपो व त्रिदेव ग्रुप का संचालन अपने भाई राजन सिंह उर्फ राजेश सिंह के साथ मिलकर करता रहा है। इसके द्वारा मुख्तार अंसारी व गिरोह की आर्थिक रूप से मदद पिछले दो दशकों से की जाती रही है। वर्ष 2009 में ठेकेदार मन्ना सिंह हत्याकांड में उमेश सिंह मुख्तार अंसारी के साथ सह अभियुक्त था।I इसी केस के बाद सन 2010 में मुख्तार अंसारी, उमेश सिंह व अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट कोतवाली थाने में मामला दर्ज किया गया।

मुन्ना सिंह हत्याकांड में गवाह राम सिंह मौर्य व उनकी सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी आरक्षी सतीश की सन 2010 में ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या कर दी गई, जिस के संबंध में थाना दक्षिण टोला में एफआइआर दर्ज किया गया। इस अभियोग में उमेश सिंह का भाई राजन सिंह मुख्तार अंसारी के साथ सह अभियुक्त था। इस हत्याकांड के संबंध में थाना दक्षिणटोला में एफआइआर गैंगस्टर एक्ट का अभियोग विरुद्ध मुख्तार अंसारी, राजन सिंह व अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध 2010 में दर्ज किया गया। इसके अलावा भी उमेश सिंह व राजन सिंह के विरुद्ध आधा दर्जन मुकदमे पंजीकृत है।

पिछले दो दशकों के दौरान उमेश सिंह व राजन सिंह मुख्तार अंसारी व गिरोह के मुख्य शरणदाता व आर्थिक मददगार के रूप में अतिसक्रिय व अग्रणी भूमिका रही है। माफिया से सम्बन्धों का फायदा उठाकर इंदारा कोपागंज में कोल डिपो स्थापित कर मोनोपोली बनाते हुए कोयला माफिया के रूप में इन दोनों के द्वारा अर्जित धन से मुख्तार अंसारी गिरोह की फंडिंग लंबे समय से की जाने की भी बात प्रकाश में आई है। इनके द्वारा माफिया व माफिया गिरोह से संबंध का इस्तेमाल करते हुए कोयले के व्यापार में अपनी मोनोपोली स्थापित करते हुए जनपद के अन्य व्यापारियों में भय व आतंक का माहौल पैदा किया गया जिससे अन्य कोई व्यक्ति कोयला व्यापार में नहीं आया।

इस प्रकार गैंग के रूप में कार्य करते हुए जघन्य अपराधों के माध्यम से अवैध धन का इस्तेमाल अपराधियों को संरक्षण देने के साथ साथ अपने कारोबार में लगा कर त्रिदेव के नाम से अलग-अलग कंपनियां खोलकर किया गया। इनके द्वारा माफिया से संबंध का लाभ उठाते हुए अपराध कारित करते हुए अर्जित की गई संपत्ति की जांच विभिन्न विभागों व एजेंसियों के माध्यम से भी कराई जा रही है।

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