मां पापा को कुछ नहीं हुआ…एक शहीद के घर की तस्वीरें देख आंखें हो जाएंगी नम

सीआरपीएफ जवानों पर हुए हमले के बाद अब शहीद परिवारों का दर्द देश के सामने हैं। किसी का बेटा चला गया तो किसी का पिता, यकीन मानिए इन तस्वीरों में परिवार का दर्द देख आप भी रो देंगे। 

तीन तलाक: कागज के टुकड़े पर लिखा तलाक-तलाक-तलाक और छोड़ दियामां पापा को कुछ नहीं हुआ...एक शहीद के घर की तस्वीरें देख आंखें हो जाएंगी नमशहीद की बेटी अपनी रोती हुई मां का हाल देखकर कहती है ‘मां तेरी कसम पापा को कुछ नहीं हुआ, वो ठीक हैं। सब झूठ बोल रहे हैं, तू मेरी बात पर विश्वास कर और शांत हो जा’। करनाल के खेड़ी मान सिंह गांव के लाल सीआरपीएफ हवलदार राममेहर के छत्तीसगढ़ के सुकमा में शहीद होने की खबर से यहां मातम पसर गया है। उसके परिवार और उसकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल है। हर किसी की आंखें नम हैं।  और, जब मां को दिलासा दिलाकर बाहर निकलती है तो खुद फफक पड़ती है।मां पापा को कुछ नहीं हुआ...एक शहीद के घर की तस्वीरें देख आंखें हो जाएंगी नम

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नक्सलियों के हमले में हवलदार राममेहर की शहादत की खबर मिलने के बाद से ही उनकी पत्नी पूनम का बुरा हाल है। रोते-रोते वह कई बार बेहोश हो जाती है। अपनी मां को शांत करने के लिए उसकी बेटी लविश उसे दिलासा दे रही है। लेकिन उसका खुद के सब्र का बांध टूट जाता है।  वह अपनी दादी मामकौर के गले लग कर खूब रोई। रोती हुई लविश बोली पापा प्रॉउड ऑफ यू। राममेहर एक मई को एक माह की छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। इन छुट्टियों के दौरान बच्चे जहां अपने पापा के साथ घूमने का प्लान बना रहे थे, वहीं उनके भाई राममेहर के गांव आने पर नया घर बनाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन, इस खुशी के बीच ही सोमवार की रात को उनकी शहादत की खबर आ गई। 

रात करीब 9 बजे जब राममेहर के पिता पूर्णचंद और माता मामकौर को उनके पड़ोसियों ने बताया कि टीवी पर उनके बेटे की शहादत की खबर चल रही है तो उनका दिल बैठ गया। हालांकि, उन्होंने पड़ोसियों के बातों पर विश्वास नहीं किया। रात करीब 11 बजे जब सीआपीएफ के एक अधिकारी ने फोन कर जानकारी दी कि उनका बेटा शहीद हो गया है।

राममेहर एक साल बाद रिटायर होने वाले थे। 19 साल पहले सीआरपीएफ ज्वाइन करने वाले राममेहर नौकरी के दौरान जम्मू-कश्मीर, असम, दिल्ली और बिहार में तैनात रहे। करीब दो साल से वे छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से लोहा ले रहे थे। शहीद राममेहर छह भाइयों में चौथे नंबर पर थे। 

राममेहर की पत्नी पूनम बच्चों की पढ़ाई के लिए करनाल में रहती थी। राममेहर का एक बेटा और एक बेटी है। दोनों केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 12वीं और 8वीं में पढ़ते हैं। 

राममेहर के परिवार और ससुराल के लोगों को उनके शहीद होने का पता रात में ही चल गया था, लेकिन शहीद की पत्नी पूनम को इस बारे में कुछ नहीं बताया गया। सुबह उसने दोनों बच्चों को तैयार कर स्कूल भेज दिया। दोपहर को राममेहर के ससुर पूर्व फौजी प्रेम स्कूल पहुंच और बच्चों को साथ लेकर अपनी बेटी के यहां गए और बोले कि चलो गांव चलना है। 

जब पूनम ने कारण पूछा तो उन्हें बताया गया कि वो हादसे के शिकार हो गए हैं, लेकिन यह नहीं बताया कि वे शहीद हो गए। पूनम जब गांव पहुंची तो घर के सामने भीड़ देख समझ गई कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने लोगों से पूछा तो उन्हें पता चला कि उनके पति शहीद हो गए।  

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राममेहर की कंपनी पर नक्सलियों ने एक बार पहले भी हमला किया था। 11 मार्च को भी सुकमा में उनकी ही कंपनी पर हमला हुआ था। इसमें राममेहर तो बच गए थे, लेकिन उनकी कंपनी के 12 जवान शहीद हो गए। इस घटना के बारे में राम मेहर ने अपने बेटे रोहित को भी बताया था।  

राममेहर ने दो दिन पहले फोन कर बेटी और पत्नी से बात की थी। बेटी लविश ने बताया कि जब पापा से बात हुई थी तो वे घर आने को लेकर बहुत खुश थे। उनसे एक लोअर और टीशर्ट लाने को कहा तो उन्होंने कहा कि यह जंगल है। यहां सिर्फ नक्सली और जानवर मिलते हैं। तुम करनाल से खरीद लो। वहीं बेटे ने कहा कि हमारे पापा बेहतरीन फाइटर थे, हमें उन पर गर्व है। 

 

 

 

 

  

 

 

 
 

 

 

  

 

 

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