#महाराष्ट्र: मेट्रो का काम देखकर जर्मन बैंक ने दी केवल 11% निधि

नागपुर. मेट्रो रेल परियोजना का 50 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। मेट्रो का काम मई 2015 में शुरू हुआ था, जो समय पर आगे बढ़ रहा है, लेकिन जर्मन बैंक केएफडब्ल्यू से मिलनेवाले ऋण की रफ्तार में तेजी नहीं दिखाई दे रही है। मंगलवार को बैंक के प्रतिनिधियों ने मेट्रो रेल प्रशासन के साथ किए गए काम की प्रगति का जायजा लिया। बैठक में संतोष जाहिर करते हुए आगे मिलने वाले 86 करोड़ रुपए के ऋण का रास्ता साफ हो गया।

#महाराष्ट्र: मेट्रो का काम देखकर जर्मन बैंक ने दी केवल 11% निधि

परियोजना को ढाई साल में केएफडब्ल्यू की ओर से अब तक करीब 11 प्रतिशत ही ऋण की राशि प्राप्त हो पाई है। बैठक में सकारात्मक चर्चा के कारण आगे करीब 645 करोड़ रुपए मिलने का रास्ता साफ होने की सूचना है, लेकिन इसके बाद भी दोनों निधियों को मिलाकर 1039 करोड़ रुपए होता है, जो कुल ऋण निधि के मुकाबले 27 प्रतिशत से अधिक नहीं है। ऋण लेते समय मेट्रो रेल की ओर से अाधिकारिक रूप से जानकारी दी गई थी कि यह ऋण 20 वर्ष के लिए होगा, जिसकी निधि तीन साल में विभिन्न चरणों में उपलब्ध कराई जाएगी।

2715 करोड़ रुपए मिलने शेष हैं

मेट्रो के अाधिकारिक सूत्रों के अनुसार बैंक प्रतिनिधियों को अब तक किए गए उपक्रमों की जानकारी दी गई। साथ ही सोलर राइडशिप, महाकार्ड, फीडर सर्विस जैसी सेवाओं के लिए किए गए उपक्रमों की भी जानकारी दी गई। बैंक ने आगे की 86 मिलियन यूरो अर्थात 645 करोड़ रुपए मिलने का रास्ता साफ कर दिया है। इस तरह मेट्रो को 1039 करोड़ रुपए प्राप्त हो जाएंगे। यहां से 500 मिलियन यूरो अर्थात 3750 करोड़ रुपए का कुल ऋण प्राप्त होना है। इसमें अब तक 52.6 मिलियन यूरो अर्थात 394.50 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। शेष 362 मिलियन यूरो अर्थात 2715 करोड़ रुपए मिलने शेष हैं।

इसे भी देखें:- जनता पर लगातार हो रही महंगाई की मार, अब सिलेंडर की कीमतों में फिर हुई भारी बढ़ोत्तरी

सभी उपभोक्ताओं से ही मेट्रो की राइडरशिप बढ़ेगी

बैठक मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ. बृजेश दीक्षित की अध्यक्षता में हुई। केेफडब्ल्यू के प्रतिनिधियों को उन्होंने बताया कि मेट्रो का लक्ष्य नॉन मोटराइज्ड ट्रांस्पोर्ट है। इसके अलावा ई-रिक्शा वाहन, साइकिल को प्राथमिकता देना है। सभी प्रकार के उपभोक्ताओं से ही मेट्रो की राइडरशिप बढ़ेगी। बैठक में केएफडब्ल्यू (इंडिया) के कंट्री डायरेक्टर डॉ. क्रिस्टोक केसलर, उपनिदेशक अनिरबंन कुंदू, अर्बन मोबिलिटी सेव्टर स्पेशलिस्ट स्वाति खन्ना, मेट्रो के संचालक (वित्त) एस. शिवमाथन, कार्यकारी संचालक (स्ट्रेटेजिक प्लानिंग) रामनाथ सुब्रमण्यम आदि उपस्थित थे।
, महाप्रबंधक (प्रशासन) अनिल कोकाटे, संयुक्त महाप्रबंधक (मल्टी मॉडल इंटीग्रेशन) महेश गुप्ता, सहायक प्रबंधक (कम्पनी सचिव) नितिका अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

ऋण मिलने की रफ्तार इसलिए कम हुई

ऋण मिलने की रफ्तार इसलिए कम है, क्योंकि हमने अब तक के अधिकांश काम सबसे पहले इक्विटी से मिले पैसों को खर्च कर किए हैं। बजट से पैसे लेकर ऋण का ब्याज चुकाने से बचने के प्रयास में ऋण लेने की रफ्तार कम रखी गई। आगे काम जैसे-जैसे तेजी से होगा, ऋण लेने की रफ्तार भी बढ़ेगी। 

Back to top button