महाराष्ट्र: भाजपा-शिवसेना की दोस्ती टूटी, जानें आगे क्या होगा

शिवसेना ने भाजपा से 22 साल पुरानी दोस्ती तोड़ते हुए महानगरपालिका (मनपा) और जिला परिषद चुनावों में अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया है। शिवसेना के इस फैसले का महाराष्ट्र ही नहीं, राष्ट्रीय सियासत पर भी व्यापक असर पड़ेगा। एक नजर खबर से जुड़े तमाम पहलुओं पर

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यह है शिवसेना का फैसला

भाजपा से अलग होने का ऐलान करते हुए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना अकेले महाराष्ट्र पर भगवा लहराएगी। हम किसी के दरवाजे नहीं जाएंगे। किसी भी जिला पंचायत या मनपा चुनाव में अब शिवसेना गठबंधन नहीं करेगी। सभी चुनाव अकेले लड़ेगी। भाजपा हमें 114 सीटें देने की बात कर रही है। क्या यह शिवसेना का अपमान नहीं है? शिवसेना की ताकत उससे कम है क्या? शिवसेना के 50 वर्ष के कार्यकाल में 25 वर्ष गठबंधन के कारण बरबाद हो गए। लेकिन हिंदुत्व और देश के लिए शिवसेना ने आपका (भाजपा) साथ दिया। अब शिवसेना किसी के सामने नहीं झुकेगी।’

भाजपा ने यूं किया पलटवार

शिवसेना के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री देंवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, कुछ लोग हमारा साथ नहीं देना चाहते हैं, लेकिन उनके बिना परिवर्तन होने वाला है। इसलिए कोई हमारे साथ है तो अच्छा है। बिना साथ के भी परिवर्तन होना ही है।

क्या राकांपा से हाथ मिलाएगी भाजपा

सियासी गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या अब भाजपा और राकांपा साथ आ जाएंगी? हालांकि शरद पंवार ने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन उन्हें पद्म विभूषण का सम्मान मिलने के बाद संभावनाएं देखी जा रही हैं। पंवार के इस सम्मान को ठाकरे ने गुरु दक्षिणा करार दिया है।

क्या कांग्रेस-राकांपा को होगा फायदा

कुछ जानकार बता रहे हैं कि शिवसेना और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़े तो इसका फायदा कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को हो सकता है।

क्या विधानसभा में बच पाएगी सरकार

महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सीटें हैं। वर्तमान में भाजपा के पास 122, शिवसेना की 63, कांग्रेस की 42, एनसीपी की 41 और अन्य के पास 20 सीटें सीटें हैं। 288 सीटों की विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है। अगर शिवसेना विधानसभा से भी समर्थन वापस ले लेती है तो भाजपा के पास 122 सीटें ही बचेंगी जो से 23 कम है। ऐसे में भाजपा को सत्ता बचाने के लिए भाजपा को एनसीपी की मदद की दरकार होगी। हालांकि शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि हम महाराष्‍ट्र को अस्थिर नहीं करना चाहते। इसलिए हकुछ दिन तक गंठबंधन बना के रखना पड़ेगा।

कदम के बयान से बड़ा विवाद

इस बीच, शिवसेना नेता व मंत्री रामदास कदम के एक बयान से विवाद बढ़ गया है। उनका कहना है, इस्तीफा हम अपने पॉकेट में लेकर घूमते हैं। जब भी उद्धव जी बोलेंगे हम सरकार को इस्तीफा सौंप देंगे।

 

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