महाभारत काल का ये योद्धा अगर लड़ता तो 2 दिन में खत्म कर देता महाभारत, लेकिन नहीं किया ऐसा जानें क्यों?

महाभारत का युद्ध हमारे प्राचीन पौराणिक ग्रंथो में धरती के सबसे भयावह युद्धों में से एक हैं । कुरुक्षेत्र के मैदान में 18 दिन चले इस युद्ध में देव दानवों ने सभी ने हिस्सा लिया था । इसी युद्ध के दौरान भगवान् श्रीकृष्ण ने दुनिया को गीता ज्ञान दिया था जिसका अनुसरण आज भारत सहित पूरी दुनिया के लोग करते हैं ।

हमेशा से ये बहस देखने को मिली हैं की इस युद्ध में सबसे शक्तिशाली योद्धा कौन था ? अकी विद्वानों ने अपने अपने मतानुसार अलग अलग योद्धाओ का नाम लिया । चूँकि स्वयं श्रीकृष्ण ने इस युद्ध में भाग नही लिया था वह सिर्फ अर्जुन के सारथी थे और हथियार ना उठाने को लेकर प्रतिज्ञाबध्ध थे । हालाकि भीष्म पितामह ने श्रीकृष्ण से एक बार हथियार उठवा दिया था लेकिन करुणामय भगवान कृष्ण ने अपने भक्त भीष्म पितामह के वचन की लाज रखने के लिए अपना ही वचन तोड़ लिया था ।

आज हम आपको महाभारत काल के एक ऐसे योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने इस युद्ध में भाग नही लिया । पौराणिक ग्रंथो के अनुसार यदि ये योद्धा युद्ध में भाग लेता तो भगवान कृष्ण के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता था क्योकि भक्त वत्सल भगवान कृष्ण इस योद्धा को अपना परमभक्त मानते थे और इसका अहित नही कर सकते थे । कहा जाता हैं की इस योद्धा के सामान शास्त्र और शस्त्र का ज्ञाता उस समय धरती पर नही था ।

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ये कोई और नही बल्कि हस्तिनापुर का महामंत्री विदुर थे । कई जगह इसका वर्णन आया हैं की विदुर कोई और नही बल्कि मृत्यु के देवता यमराज के अवतार थे । स्वयं भगवान कृष्ण ने इस बात का समर्थन किया हैं की विदुर जी के पास ऐसे ऐसे हथियार हैं जिनका महादेव के अलावा किसी के पास तोड़ नही हैं । लेकिन धर्म की प्रतिमूर्ति महात्मा विदुर ने इस युद्ध में भाग नही लिया । क्योकि वह पांड्वो के खिलाफ युद्ध नही कर सकते थे और कौरवों की तरफ से युद्ध करके अधर्म का साथ नही देना चाहते थे । आज भी विदुर निति पुरे जगत में विख्यात हैं ।

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