महागठबंधन तोड़ एनडीए में शामिल हुए नीतीश, जानें किसे क्या मिला

  • पटना.शुक्रवार को बिहार विधानसभा में नीतीश कुमार बहुमत साबित करने पहुंचे तो बहुत कुछ बदला-बदला सा दिखा। तीन दिन पहले जो पार्टी सत्ता में थी वह विपक्षी दल बन गई और विपक्ष के नेता सत्ता में आ गए। राजद और जदयू की इस लड़ाई ने कम समय में बहुत कुछ बदल दिया। ऐसा ही बदलाव तब देखने को मिला था जब नीतीश ने लालू के साथ गठबंधन किया था। जदयू समर्थक समझ ही नहीं पा रहे थे कि जिस लालू का वे दिन रात विरोध करते थे अब सपोर्ट कैसे करें।
    महागठबंधन तोड़ एनडीए में शामिल हुए नीतीश, जानें किसे क्या मिला
     
    अब एक बार फिर कुछ वैसे ही हालत हैं। दिन भर मोदी और बीजेपी के खिलाफ बोलने वाले जदयू समर्थक अब एनडीए के पक्ष में विचार रख रहे हैं। एनडीए में रहकर मंत्री पद पाने वाली पार्टी रालोसपा रातोरात कांग्रेस और राजद के करीब हो गई है। आईए जानते हैं नीतीश के पाला बदलने से किसे क्या मिला।

    ये भी पढ़े: बड़ी ख़बर: …तो ये हैं असली वजह जिससे बंद होंगे 2000 रुपए के नए नोट…

    लालू यादव
    लालू छोटे बेटे तेजस्वी को अपना राजनीतिक वारिस बनाना चाहते थे। नीतीश के इस्तीफा देने से लेकर फ्लोर टेस्ट तक तेजस्वी ने जिस तरह मोर्चा संभाला उससे मैसेज गया कि तेजस्वी लालू की जगह पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। तेजस्वी ने शुक्रवार को विधानसभा में आक्रामक तेवर के साथ नीतीश पर हमला किया। इससे उनकी इमेज विपक्ष के ताकतवर नेता के रूप में बनी।
     
    राजद
    जदयू के साथ छोड़ने से राजद के साथ से सत्ता तो चली गई, लेकिन उन्हें लालू के बाद एक और नेता मिल गया। तेजस्वी ने इस दौरान अपने को विपक्ष के नेता के रूप में स्थापित किया। बीजेपी राजद के विधायकों के तोड़ने की बात कह रही थी। फ्लोर टेस्ट में यह साबित हो गया कि सत्ता जाने पर भी पार्टी एकजुट है और आगे संघर्ष कर सकती है।
     
    नीतीश
    लालू के साथ हाथ मिलाने के बाद से ही नीतीश को भ्रष्टाचार का साथ देने के आरोप का सामना करना पड़ रहा था। तेजस्वी मामले में इस्तीफा देकर नीतीश ने करप्शन के खिलाफ लड़ने वाली छवि मजबूर की। राजद के साथ नीतीश सरकार भले चला रहे थे, लेकिन उन्हें पूरी आजादी थी। वह भाजपा के साथ पहले भी सरकार चला चुके हैं। अब केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार से भी लाभ मिलेगा।
     
    भाजपा
    2015 के विधानसभा चुनाव में हार झेलने के बाद भी 20 माह बाद बीजेपी सत्ता में आ गई। चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा समझ गई थी कि बिहार में बिना नीतीश को साथ लिए जीत नहीं मिल सकती। बीजेपी को इससे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव और 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी फायदा मिलने की उम्मीद है। उसे उम्मीद है कि नीतीश लंबे समय तक उनका साथ देंगे।
     
    कांग्रेस
    लालू नीतीश फाइट में कांग्रेस को सिर्फ नुकसान ही हुआ। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कहते हैं कि उन्हें तीन माह पहले से पता था कि नीतीश भाजपा के साथ जाने वाले हैं। जानते हुए भी कांग्रेस नीतीश को नहीं रोक पाई और उसे सत्ता से बेदखल होना पड़ा। 15-20 सीट मिलने वाली थी मेरे चलते 40 सीट मिली यह कहकर नीतीश ने कांग्रेस को बिहार में उसकी स्थिति बता दी।
     
    रालोसपा
    नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से रालोसपा को नुकसान हुआ है। उपेंद्र कुशवाहा पहले नीतीश के सहयोगी थी। वह नीतीश से अलग हुए और अपनी पार्टी बनाई। आज भी नीतीश और उपेंद्र के रिश्तों की कड़वाहट कम नहीं हुई है। नीतीश के एनडीए में शामिल होती ही रालोसपा कांग्रेस और राजद से नजदीकि बढ़ाने में लग गई है।
     
    लोजपा
    जदयू के एनडीए में शामिल होने से लोजपा खुश है। चुनाव में सिर्फ दो सीट पर जीत हासिल करने वाली पार्टी अब सत्ता में आ गई है। उसे उम्मीद है कि उनकी पार्टी के विधायक को भी मंत्री बनाया जाएगा। रामविलास पासवान ने नीतीश को बधाई भी दी है।
     
    हम
    बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी भी जदयू के एनडीए में आने से खुश हैं। मांझी पहले जदयू में थे। नीतीश ने उन्हें सीएम बनाया, लेकिन बाद में उन्होंने बगावत कर दी। वह जदयू से अलग हुए और अपनी नई पार्टी बनाई। 2015 के चुनाव में उन्हें सिर्फ एक सीट पर जीत मिली। मांझी पुरानी तल्खी भूल नीतीश का स्वागत कर रहे हैं।
     
     
     
Back to top button