मराठा आरक्षण मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर आज SC में होगी सुनवाई

Maratha Reservation सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से इन्कार किया लेकिन साफ कहा कि बाम्बे हाईकोर्ट के मुताबिक लागू किया गया मराठा आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के अधीन होगा।

ज्ञात हो कि बांबे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फणनवीस सरकार की मराठा आरक्षण नीति को मंजूरी दे दी है लेकिन आरक्षण की मात्रा को घटा दिया है। राज्य सरकार इसके खिलाफ शीर्ष अदालत गई है। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने भी मराठा समुदाय को 12-13 फीसदी आरक्षण देने की ही सिफारिश की थी। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दायर की थी, जिसमें राज्य सरकार ने कहा था कि अगर हाईकोर्ट फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कोई भी अपील आती है तो महाराष्ट्र सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला न लें।

मराठों को 16 फीसदी आरक्षण दिए जाने के सरकार के निर्णय के विरुद्ध दायर याचिका पर करीब डेढ़ माह की बहस के बाद हाईकोर्ट का निर्णय आया था। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरविंद दातार ने कोर्ट में तर्क दिया था कि सरकार द्वारा किया गया 16 फीसदी आरक्षण का प्रावधान पूरी तरह संविधान के विरुद्ध है। क्योंकि यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाई गई 50 फीसद की सीमा के अधिक नहीं हो सकता। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में 52 फीसदी आरक्षण पहले से लागू है। 16 फीसदी और दिए जाने के बाद यह 68 फीसद पर पहुंच जाएगा। महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार में ही महाधिवक्ता रह चुके श्रीहरि अणे ने भी इसे दो समुदायों के बीच दरार डालने वाला एवं मराठों को ‘स्थायी बैसाखी ‘ थमाने वाला करार दिया था।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले साल 29 नवंबर को शिक्षा और नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की थी। यह आरक्षण राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट एवं उसकी सिफारिशों के आधार पर दिया गया था।

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