ममता की रैली में शामिल नहीं होंगे सोनिया और राहुल, भेजेंगे मल्लिकार्जुन खड़गे को

आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए विपक्ष अपने गठबंधन को मजबूत करने की हर संभव कोशिश कर रहा है। इसी बीच कोलकाता में 19 जनवरी को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विपक्षी दलों की रैली होने वाली है। लेकिन इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल और सोनिया गांधी शामिल नहीं होगे। वह अपनी जगह पार्टी का प्रतिनिधित्व करने के लिए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजेंगे। बनर्जी ने इस रैली में आने के लिए यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी आमंत्रण भेजा था। जिससे विपक्षी एकता की ताकत और भी मजबूती के साथ दिखाई दे। लेकिन एक महीने तक बनर्जी को इंतजार करवाने के बाद उन्होंने भी आमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है।
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वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के रैली में शामिल होने को लेकर भी सवाल उत्पन्न हो गया है। सूत्रों का कहना है कि राव ने फैसला लिया है कि वह रैली में शामिल नहीं होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि वह राहुल गांधी के साथ मंच साझा नहीं करना चाहते। वहीं वामपंथी दल ने भी टीएमसी की विपक्षी दलों की रैली में शामिल न होने का फैसला लिया है। बनर्जी दावा कर चुकी हैं कि उनकी इस रैली में गैर भाजपा दलों की भागीदारी कश्मीर से कन्याकुमारी तक दिखाई देगी। बनर्जी का ये भी कहना है कि पूर्वी क्षेत्र में बीते चार दशकों में यह सबसे बड़ी पब्लिक मीटिंग होगी।
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टीएमसी ने रैली में शामिल होने के लिए कई विपक्षी दलों को निमंत्रण भेजा था। जिसमें तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल (सेक्युलर), आम आदमी पार्टी (आप), नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक सोनिया और राहुल गांधी ने रैली में शामिल न होने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि पश्चिम बंगाल कांग्रेस यूनिट बनर्जी के साथ वरिष्ठ नेताओं के मंच साझा करने के पक्ष में नहीं है। बताया जा रहा है कि राज्य की कांग्रेस यूनिट का कहना है कि वह आने वाले लोकसभा चुनावों को अकेला लड़ने के लिए तैयार हैं और उन्होंने ही राहुल गांधी को रैली में शामिल न होने का सुझाव दिया है। राहुल गांधी के रैली में शामिल न होने से फिर ये सवाल गहराएगा कि महागठबंधन का प्रधानमंत्री कौन बनेगा?
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इससे पहले ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि महागठबंधन के प्रधानमंत्री पर चर्चा 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों के बाद ही हो सकती है। राज्य सचिवालय में बातचीत के दौरान ममता ने कहा था, “लोकसभा चुनाव 2019 के बाद ही इसपर चर्चा हो सकती है। एक बार जब विपक्षी गठबंधन जीत जाएगा तो सभी पार्टियां इस मामले पर फैसला लेंगी।”

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