मध्य प्रदेश में पॉलिटिकल ड्रामा खत्म, शिवराज ने विश्वास मत जीता

भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विश्वास मत हासिल कर लिया। सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही शुरू हुई। चूंकि कोरोना की वजह से कांग्रेस का एक भी विधायक सदन में नहीं पहुंचा, इसलिए शिवराज ने सर्वसम्मति से विश्वास मत जीत लिया। सभी विधायकों ने ‘हां’ कहकर विश्वास मत प्रस्ताव पारित कर दिया। इससे पहले स्पीकर एनपी प्रजापति ने इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से विधायक जगदीश देवड़ा ने कार्यवाही पूरी कराई। इसके बाद विधानसभा का सत्र 27 मार्च सुबह 11 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
मध्य प्रदेश विधानसभा में विधायकों की संख्या 206 है। बसपा के 2, सपा का 1 और 2 निर्दलीय विधायक हाजिर थे। अगर कांग्रेस के 92 और 2 निर्दलीय भी हाजिर रहते तो वोटिंग होती और बहुमत साबित करने के लिए भाजपा को 104 वोटाें की जरूरत पड़ती। अभी भाजपा के पास 107 विधायक हैं। शिवराज ने विश्वास मत पेश करते हुए कहा कि राज्यपाल ने सरकार को 15 दिन में बहुमत साबित करने को कहा है, इसलिए वे विश्वास मत पेश कर रहे हैं।
चौथी बार मप्र के सीएम बनने वाले पहले नेता
एक साल, 3 महीने और 6 दिन बाद शिवराज सिंह चौहान फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। उन्हें राज्यपाल लालजी टंडन ने राजभवन में हुए एक सादे समारोह में राज्य के 19वें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शिवराज चौथी बार इस पद पर काबिज होने वाले प्रदेश के एक मात्र नेता हैं। कोरोना संकट को देखते हुए शपथ कार्यक्रम में सिर्फ 40 लोगों को बुलाया गया था। उनके बैठने की व्यवस्था भी ऐसे की गई, ताकि प्रत्येक के बीच कम से कम एक मीटर की दूरी रहे।
इकबाल सिंह बैंस नए चीफ सेक्रेटरी
शपथ लेने के बाद शिवराज ने कहा कि अभी एक ही प्राथमिकता है कोरोना संक्रमण को रोकना। यह एक बड़ी चुनौती है। पहले स्थिति की समीक्षा करूंगा और तत्काल फैसले लूंगा। इसके बाद शिवराज सीधे वल्लभ भवन पहुंचे और कोरोना से जुड़े मसलों की एक फाइल पर दस्तखत किए। मंगलवार को विधानसभा सत्र के बाद उन्होंने इकबाल सिंह बैंस को प्रदेश का नया मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया। उनसे पहले गोपाल रेड्‌डी चीफ सेक्रेटरी थे।
24 सीटों पर 6 महीने में चुनाव होंगे
विधानसभा में 230 सीटें हैं। 2 विधायकों के निधन के बाद 2 सीटें पहले से खाली हैं। सिंधिया समर्थक कांग्रेस के 22 विधायक बागी हो गए थे। इनमें 6 मंत्री भी थे। पूर्व स्पीकर एनपी प्रजापति इन सभी के इस्तीफे मंजूर कर चुके थे। इस तरह कुल 24 सीटें खाली हैं। इन पर 6 महीने में चुनाव होने हैं।
उपचुनाव में भाजपा को कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी
भाजपा के 107 विधायक हैं। 4 निर्दलीय उसके समर्थन में आए तो भाजपा+ की संख्या 111 हो जाती है। इस स्थिति में 24 सीटों पर उपचुनाव होने पर भाजपा को बहुमत के लिए 5 और सीटों की जरूरत होगी। अगर निर्दलीयों ने भाजपा का साथ नहीं दिया तो उपचुनाव में पार्टी को कम से कम 9 सीटें जीतनी होंगी।

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