मध्य प्रदेश में जान जोखिम में डालकर नदी पार करते हैं लोग

 देश को आजाद हुए भले ही सतर बरस से ज्यादा हो चुके हैं। लेकिन आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां लोग मूलभूत सुविधाओं के तरस रहे हैं। कई गांव तो ऐसे हैं, जहां जरा सी बारिश हुई नहीं तो उसका संपर्क कट जाता है। ऐसी ही एक गांव मध्य प्रदेश में है। रतलाम जिले के दमदम गांव के लोग इलाके की सोमली नदी पार करने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं।

इसके लिए वो जुगाड़ का सहारा लेते हैं। वो भी ऐसी कि जरा सी चूक हुई तो सीधे पानी में गिरने का खतरा। गांववाले ऐसा मजबूरी में करते हैं। क्योंकि इस गांव में रहने वाले ज्यादातर लोगों के खेत नदी के उस पार हैं। वहां पैदल पहुंचने में तकरीबन 17 किमी चलना पड़ता है। जबकि नदी से खेत की दूरी सिर्फ दो किमी ही है।

गांववालों का कहना है कि 70 साल बाद भी हमारी समस्या हल नहीं हुई है। अभी भी इस जुगाड़ के जरिए रोजाना 500-600 लोग नदी पार करते हैं।

ऐसी है जुगाड़नुमा नाव

जिस जुगाड़नुमा नाव पर सवार होकर गांववाले नदी पार करते हैं। वो कहने को नाव जैसी है। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। ड्रम के साथ लकड़ी के तख्ते जोड़कर ये जुगाड़नुमा नाव तैयार की गई है। जिससे एक बार में आठ से दस लोग नदी पार करते हैं। सबसे जोखिम की बात तो ये है कि ग्रामीण अपने मवेशी और छोटे-छोटे बच्चों को भी इसी के जरिए नदी पार करते हैं। ऐसे में हमेशा खतरा बना रहता है।

पैसे इकठ्ठा कर बनाई नाव

ग्रामीणों की मजबूरी है कि रोज इतना घूमकर नहीं आ सकते हैं। तब सभी ग्रामीणों ने 25 हजार रुपए एकत्र कर चार ड्रमों पर पटिया रखकर जुगाड़ बनाया है। दोनों किनारों पर एक रस्सी बंधी है, जिसके सहारे जुगाड़ इस पार से उस पार ले जाते हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल तत्कालीन कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव, विधायक यशपालसिंह सिसोदिया गांव में आए थे। तब लोगों ने सोमली नदी पर पुलिया बनाने की मांग की थी। इस पर आश्वासन मिला था। लेकिन आज तक इस नदी पर पुलिया नहीं बनी है।

इनका कहना है

आपने ही यह मामला मेरे संज्ञान में डाला है। लोग अगर ऐसे नदी पार कर रहे हैं तो गलत है। इससे जान को खतरा है। मैं दिखवाता हूं।

-नारायण नांदेड़ा, तहसीलदार

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