भारत-जर्मनी मेंं 18 समझौते, दोनों देश एक-दूसरे की भाषाओं को बढ़ावा देंगे

German Chancellor, Angela Merkel, ileft, and Indian Prime Minister Narendra Modi pose for a photograph before a meeting in New Delhi, India, Monday, Oct. 5, 2015.  Merkel is on a three-day visit to India. (AP Photo/Saurabh Das)

नई दिल्ली (6 अक्टूबर): भारत और जर्मनी के बीच सोमवार को कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आपसी संबंध सुधारने के लिए सहमति बन गई। इन क्षेत्रों में सुरक्षा, निर्माण, व्यापार, खुफिया तंत्र, क्लीन एनर्जी आदि शामिल हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल के बीच दिल्ली में विस्तृत बातचीत हुई। जिस दौरान 18 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। दोनों देश एक-दूसरे की भाषाओं को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए हैं।

 
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों नेताओं ने इस वार्ता के ‘बहुत अच्छा’ बताया। साथ ही दोनों नेताओं ने उम्मीद जताई कि उनके बीच हुई वार्ता दोनों देशों के बीच रणनीतिक क्षेत्रों में आपसी भागदारी बढ़ाने की दिशा में रास्ता साफ करेगी।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ”हम भारत के आर्थिक बदलाव के सपने को पूरा करने के लिए जर्मनी को एक प्राकृतिक साझेदार मानते हैं। जर्मनी की शक्तियां और भारत की प्राथमिकताएं सम्मिलित हैं। हमारा ध्यान आर्थिक संबंधों की ओर है। लेकिन, मेरा मानना है कि असीमित चुनौतियों और अवसरों वाली इस दुनिया में भारत और जर्मनी मजबूत साझेदार बन सकते हैं। जिससे मानवीय, शांतिपूर्ण, न्यायपूर्ण और स्थाई भविष्य बनाने में भूमिका निभाई जा सके।”
 
प्रधानमंत्री ने इस बात का भी जिक्र किया कि वह एंजेला मर्केल के साथ बैंगलुरु में भी बातचीत चालू रखेंगे। वहां दोनों नेता एक बिजिनेस फोरम में शामिल होंगे।
 
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा, ”यह भागीदारी सुरक्षा, निर्माण, आधुनिक प्रौद्यागिकी व्यापार, खुफिया तंत्र आदि क्षेत्रों के साथ आतंकवाद और उग्र सुधारवाद से लड़ने में भी बढ़ेगी। हमारी बढ़ती साझेदारी के लिए ये महत्वपूर्ण सुरक्षा के पहलू हैं।”
 
दोनों नेताओं के बीच जो समझौते हुए उनमें से एक जर्मनी के विदेश विभाग और भारत के मानव संसाधन मंत्रालय के बीच हुआ। जिसमें भारत में जर्मन भाषा और जर्मनी में आधुनिक भारतीय भाषाओं के प्रचार प्रसार के लिए संयुक्त उद्देश्य घोषणा शामिल है।
 
यह समझौता केंद्रीय विद्यालयों से तीसरी भाषा के तौर पर ‘जर्मन’ को हटाकर ‘संस्कृत’ लाने के विवाद को दोनों पक्षों की तरफ से सुलझाने की दिशा में किया गया है। इस फैसले की जर्मनी ने आलोचना की थी। पिछले साल नवंबर में जी-20 समिट में दोनों नेताओं के बीच ब्रिसबेन में हुई मुलाकात के दौरान एंजेला मर्केल ने इस मुद्दे को उठाया था।
 
ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए जर्मनी की एक-एक अरब यूरो (करीब 15 हजार करोड़ रुपए) की हेल्प बहुत मायने रखती है। दोनों देशों के बीच ट्रेड और दूसरे सेक्टरों से जुड़े 12 एमओयू साइन हुए।मार्केल ने क्या कहा
– दोनों देशों के रिप्रजेंटेटिव के बीच अच्छी बातचीत हुई और हमने कई एग्रीमेंट्स साइन किए।

– भारत और जर्मनी के बीच इकोनॉमिक रिलेशन बहुत ही डायनामिक हैं।

– हम साइंस टेक्नॉलॉजी और वोकेशन्ल फिल्डस में आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं।

– हर ओर विकास तभी किया जा सकता है जब रूरल एरिया को नेगलेक्ट न किया जाए।

– दुनिया की मुश्किलों को हल करने के लिए भारत और जर्मनी पीसफुल और डिप्लोमैटिक सॉल्यूशन पर काम कर रहे हैं।

– हम अफगानिस्तान में सिक्युरिटी को लेकर चिंतित हैं।

मोदी ने क्या कहा

– भारत के इकोनॉमिक रिफॉर्म में जर्मनी एक नैचुरल पार्टनर है। जर्मनी की स्ट्रैंथ और भारत की प्रॉयरिटी एक है।

– इंटर-गवर्मेंटल कंसल्टेंशन का मॉडल यूनिक है। भारत-जर्मनी रिलेशंस में जर्मन डेलिगेशन ने काफी सक्रियता दिखाई।

– चांसलर मार्केल की लीडरशिप यूरोप और दुनिया के लिए मुश्किल वक्त में कॉन्फिडेंस और भरोसे के लिए बड़ा सोर्स है।

– टेंपरेचर पर लगाम लगाने के लिए हमें टेंपरामेंट में भी बदलाव लाने होंगे।

– भारत में ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर और सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए जर्मनी द्वारा एक-एक बिलियन यूरोज की मदद काफी मायने रखती है।

– G4 समिट में हुई बातचीत के मुताबिक, चांसलर और मैं (मोदी) यूएन में बदलाव के लिए बात उठाते रहेंगे। खासकर सिक्युरिटी काउन्सिल में बदलाव के लिए।

इससे पहले मार्केल ने कहा,”पीएम ने इस देश के डेवलपमेंट लिए जो भी महत्वकांक्षी योजनाएं बनाई हैं उसका हम पूरी तरह से सपोर्ट करेंगे।”

 
दोनों पक्षों ने जर्मन कम्पनियों के लिए भारत मे एक फास्ट-ट्रैक सिस्टम की स्थापना करने की भी घोषणा की है।
 
 
 
Back to top button