भारत की एकता का श्रेय पटेल को : पीएम नरेंद्र मोदी

31 अक्टूबर का दिन बहुत ही खास होगा, क्योंकि सरदार पटेल को ‘सच्चीश्रद्धांजलि’ के तौर पर ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को राष्ट्र को समर्पित किया जाएगा। 1947 में ‘टाइम’ पत्रिका ने पटेल की सराहना करते हुए उन्हें ऐसी शख्सियत करार दिया था, जिसके अंदर देश को एकजुट रखने और ‘घाव भरने’ की क्षमता थी।

सरदार पटेल ने एक के बाद एक समाधान निकाला और देश को एक सूत्र में बांधा। अगर आज हम एकीकृत भारत देख रहे हैं, तो इसका पूरा श्रेय सरदार पटेल के रणनीतिक कौशल और उनकी बुद्धिमत्ता को जाता है। 

शिक्षाः घर में ही पढ़ने की आदत, मिली सफलता

आर्थिक तंगी के कारण पढ़ना मुश्किल हुआ। 22 साल की उम्र में 10वीं पास की। आगे की पढ़ाई कॉलेज में नहीं कर सके तो घर पर ही पढ़े और पास होते गए। 30 माह में लॉ की पढ़ाई पूरी की। 36 वर्ष की उम्र में पटेल कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। घर पर ही पढ़ने की आदत थी, इसलिए तीन साल का कोर्स उन्होंने ढाई साल में पूरा कर लिया।

समर्पणः पत्नी वियोग पर भी रहे अविचलित

पत्नी झावेर बा का 1909 में मुंबई के एक अस्पताल में निधन होगया। उस वक्त पटेल अहमदाबाद की कोर्ट में किसी केस की बहस कर रहे थे। उन्हें पर्ची पर लिखकर पत्नी के निधन की सूचना दी गई, लेकिन वे अविचलित योद्धा की भांति बहस में लीन रहे। केस में पक्षकार की जीत पक्की करने के बाद ही घर लौटे।

उपाधिः ‘सरदार’, बिस्मार्क और लौह पुरुष…

आजादी के आंदोलन के दौरान पटेल का बारदौली सत्याग्रह कामयाब रहा था। बारदौली की महिलाओं ने उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि से नवाजा। विभिन्न रियासतों का भारत में विलय कराने के लिए उन्हें भारत का बिस्मार्क (जर्मन साम्राज्य के प्रथम चांसलर) और ‘लौह पुरुष’ (आयरन मेन) भी कहा जाता है।

Back to top button