भारतीय सेना को मिलने वाली है एक और बेहतरीन तोप, सोवियत संघ की तोप का है अपग्रेड वर्जन

भारतीय सेना को अब एक और बेहतरीन मारक क्षमता वाली तोप मिलने वाली है। पांच जुलाई को रक्षा मंत्रालय का महानिदेशालय गुणवत्ता डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) इसका परीक्षण कराएगा। इटारसी (मध्य प्रदेश) में परीक्षण के बाद शारंग सेना को देने का रास्ता साफ हो जाएगा।

कानपुर स्थित फील्डगन फैक्ट्री में बनी पहली शारंग तोप का सफल परीक्षण सेना ने पोखरन में अक्टूबर 2018 में किया था। इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने 25 अक्टूबर 2018 आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी) को 300 शारंग तोपों का ऑर्डर को दिया था। इन तोपों को बनाने की जिम्मेदारी ओएफबी ने फील्डगन फैक्ट्री और आर्डनेंस फैक्ट्री को दे रखी है। इसमें फील्डगन फैक्ट्री ने अपनी पहली तोप डीजीक्यूए को सौंप दी है। इसका परीक्षण पांच जुलाई को इटारसी में होगा। इसके बाद फील्ड गन फैक्ट्री सेना को इसी माह शारंग तोप सौंपने की तैयारी में है। फील्डगन फैक्ट्री के अपर महाप्रबंधक राजीव जैन ने बताया कि पांच जुलाई को प्रूफ फायर के बाद जल्द ही सेना को पहली खेप दी जाएगी।

सोवियत संघ की तोप का अपग्रेड वर्जन है शारंग

भारत ने सोवियत संघ से जो एम-46 तोपें खरीदी थीं। शारंग उसी का स्वदेशी और अपग्रेड अवतार है। एम-46 130 एमएम और 39 कैलिबर की थी जबकि 155 एमएम की और 45 कैलिबर की तोप है। इसकी मारक क्षमता, सटीक निशाना और विध्वंसक क्षमता एम-46 के मुकाबले कई गुना बेहतर है।

70 लाख रुपये लागत

पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी शारंग सेना को बेहद कम कीमत में मिलेगी। इसकी लागत करीब 70 लाख रुपये प्रति तोप है। जो अंतरराष्ट्रीय बाजार की अन्य तोपों के मुकाबले बेहद कम है।

शारंग की खासियत

  • बैरल की लंबाई सात मीटर है।
  • 39 किमी. तक मारक क्षमता, जबकि एम-46 की क्षमता 27 किमी. है।
  • एम-46 के मुकाबले तीन गुना अधिक घातक।
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