भाजपा नहीं शिवसेना कंगना की ज़्यादा हितैषी है

“सियासी समर्थन-विरोध छोड़ प्लाज़मा डोनर की तरह ड्रग के खिलाफ अभियान छेड़े तो सचमुच वीरांगना कहला सकती है कंगना”
नवेद शिकोह
देश के सबसे ज्यादा अनुभवी राजनेता शरद पवार ने बीएमसी द्वारा डिमॉलिशन का क़दम गलत और कंगना रनौत के मकसद को पूरा करना बताया है। महाराष्ट्र सरकार के सहयोगी एनसीपी सुप्रीमो पवार अपने इस ख्याल के साथ शिवसेना पर नाराज़ हुए।
केंद्र सरकार द्वारा वाई प्लस सुरक्षा ने कंगना का मात्र स्टेटस सिम्बल बढ़ाया है, भाजपा का खासम-खास साबित किया है। इससे कहीं अधिक लाभ कंगना को महाराष्ट्र सरकार ने पंहुचाया है। शिवसेना सरकार के इशारे पर बीएमसी द्वारा घर के छज्जे को ढाहने के एक्शन से कंगना को करोड़ों लोगों की हमदर्दी मिली।
यही वो चाहती थीं। बकौल शरद पवार के महाराष्ट्र सरकार ने अवैध निर्माण के कुछ अंश पर बुलडोजर चलाकर कंगना की दिली मुराद पूरी कर खूब पब्लिसिटी और जनता की हमदर्दी की सौग़ात दे दी।
तरह-तरह की चर्चाओं में तमाम लोग कंगना को वीरांगना कह रहे हैं, तो कुछ लोग ऐसे भी हैं जो उनपर ड्रग एडिक्ट होने का आरोप भी लगा रहे हैं। एक वीडियो में वो खुद भी कह रही हैं कि वो ड्रग एडिक्ट रही हैं। ये बात सही है या गलत वो अलग विषय है किंतु ये बात तय है कि कंगना को नशे की लत हो या ना हो पर उसे पब्लिसिटी की लत हमेशां रही है।
अच्छे अभिनय से ही नहीं इस अभिनेत्री का आस्तित विवादित बयानों से भी जुड़ा है। यहां शिवसेना से उनके बखेड़ा का सिलसिला भी तब शुरू हुआ जब उन्होंने महाराष्ट्र को पाक अधिकृत कश्मीर कहा। इसके बाद पलटवार में शिवसेना के एक नेता  ने उन्हें अपशब्द कहने की गलत बयानी की।

समय-समय पर विवादों के शगूफे छोड़कर सुर्खियों में रहने वाली इस अभिनेत्री का फिल्मी कैरियर काफी ढलान पर था। वो इधर कुछ वर्षों से भाजपा के एजेंडे के लिए काम करके सरकार के करीब होने की लगातार कोशिशें करती रहीं। फिल्म इंडस्ट्री के तौर-तरीकों पर उन्होंने कई बार हमले किये। जायज सवाल भी उठाये। इंडस्ट्री में खेमेबाजी का माहौल पैदा करने की भी कोशिश की। लेकिन बड़ी सफलता उन्हें सुशांत प्रकरण में मिली। सुशांत की मौत को उन्होंने बालीवुड मे पनपते भाई-भतीजवाद और ड्रग के धंधे से जोड़ा।
कंगना के ये मुद्दे जायज और प्रक्टिकल हैं। वो किसी फिल्मी घराने से नहीं थीं। छोटे शहर से आकर मुंबई में स्ट्रगल कर अपवाद स्वरूप उन्होंने फिल्मी दुनिया में बड़ी पहचान बनाई। इस दौरान वो खुद भी ड्रग की जानलेवा खाई में गिर गयीं। कंगना का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वो खुद कह रहीं हैं कि वो ड्रग्स एडिक्ट रही हैं। यानी वो प्रतिबंधित नशे के गलत रास्ते पर थीं।

उनका फिल्मी कैरियर इधर कमजोर पड़ चुका था। अभिनेता सुशांत की मौत पर शक की सूई सामने लाकर वो सुर्खियों में आयीं। इस पहलू पर उनके तमाम मुद्दों में एक ड्रग्स वाला मुद्दा काफी सशक्त था, जो धीरे-धीरे सही साबित भी हो रहा है। अब लगने लगा है कि सुशांत मामले में ड्रग एक बड़ी वजह थी।

लेकिन अब जब कंगना का ड्रग वाला मुद्दा सही साबित हो रहा है तो वो खुद इस मुद्दे को भटका रहीं हैं और सियासी नफा-नुकसान में समर्थन और विरोध की एक्सरसाइज में ऊर्जा लगाती दिख रही हैं। शिवसेना ये आरोप भी लगा रही हैं कि कंगना रनौत भाजपा की स्क्रिप्ट और डायरेक्शन पर महाराष्ट्र को बदनाम करने का काम कर रही हैं। ये आरोप कितना सही है और कितना गलत है ये अलग बात है लेकिन होना ये चाहिए है कि कंगना खुद ड्रग एडिक्ट रेकिट की निशानदेही कराकर एजेंसी का सहयोग करें। और मुंबई में बड़े ड्रग कारोबार के खिलाफ अभियान चलाने का योगदान दें।

भले ही उन्होंने अवैध निर्माण किया हो पर उनके अवैध घर को तोड़ने के बजाय वहां नशा मुक्ति केंद्र बनाया जाया। ये मांग करें। ऐसे लोगों  सामने लायें जो उनकी ड्रग छोड़ चुके हैं और उनकी तरह ड्रग  के खिलाफ लड़ाई में सरकारी एजेंसियों का सहयोग कर सकते है। ऐसे तमाम लोगों को भी  केंद्र सरकार द्वारा सुरक्षा दिलाने की सिफारिश करें। ताकि ऐसे लोगों को ताकतवर ड्रग माफियाओं से जान का ख़तरा ना हो।
कंगना ने जिस तरह अयोध्या राम मंदिर और कश्मीर पर फिल्म बनाने की घोषणा की है इसी तरह उन्हें बॉलीवुड में ड्रग्स के धंधे के खिलाफ फिल्म बनाने की घोषणा करनी चाहिए है।

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