भगोड़े विजय माल्या को लगा बड़ा झटका, बैंक डिटेल्स मिलने का रास्ता हुआ साफ

नई दिल्ली। माल्या की याचिका को खारिज करने का फैसला गोथम डाइजेस्ट ने लिया, स्विस फेडरल कोर्ट के लिए सभी म्यूचुअल लीगल असिस्टेंस ट्रीटी (एमएलएटी) से जुड़े मामलों की निगरानी करते हैं। डाइजेस्ट ने कहा कि माल्या के स्विस वकील की यह दलील की उसके खिलाफ मामले की जांच कर रहे अधिकारी (विशेष निदेशक राकेश अस्थाना) पर खुद भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, इसे कोर्ट स्वीकार नहीं करती।
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अपने फैसले में स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल जज ने कहा कि इस मामले में ईसीएचआर के उल्लंघन की याचिका लागू नहीं होती है। इससे पहले माल्या ने कहा था कि भारत की सरकार ने उसके खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध छेड़ा हुआ है। इसी वजह से उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई और जांच शुरू की हुई है। हालांकि जज ने ब्रिटेन में रहने के पीछे दिए इस आधार को खारिज कर दिया था। अपने 55 पन्नों के आदेश में विशेष जज एमएस आजमी ने माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा था, ‘इस संबंध में तर्क देकर खुद को कानून का पालन करने वाले नागरिक के तौर पर पेश करना कपोल कल्पना मात्र है। अभियोजन पक्ष ने उनके खिलाफ जो बयान दिया है वह किसी राजनीतिक कारणों है, इससे यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उसे भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या ने आखिरी दांव चलते हुए स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल से अपनी बैंक डि़टेल्स न देने का अनुरोध किया था। जिसे कि अदालत ने ठुकरा दिया है। व्यवसायी का कहना था कि सीबीआई की उसके खिलाफ कार्रवाई गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण है क्योंकि इस मामले की जांच करने वाले मुख्य अधिकारी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
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26 नवंबर और 29 नवंबर को लॉजेन में स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल द्वारा तीन निर्णय सुनाए गए थे। उनके फैसले दिखाते हैं कि माल्या के वकीलों ने सीबीआई तक उसके बैंक खातों की डिटेल्स पहुंचने से रोकने के लिए आखिरी दांव चला था। उन्होंने मानवाधिकार पर यूरोपीय सम्मेलन (ईसीएचआर) की धारा 6 का हवाला दिया जिसके अनुसार हर व्यक्ति को निष्पक्ष ट्रायल का अधिकार है और इसे सीबीआई प्रमुख पर चल रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से जोड़ दिया। स्विस फेडरल ट्रिब्यूनल में दायर अपीलें 14 अगस्त, 2018 के तीन आदेशों का पालन करती हैं। जिसनें कांटन ऑफ जेनेवा के सरकारी अभियोजक से कहा गया है कि वह माल्या के बैंक खातों का विवरण भारत को दे। इसके लिए सीबीआई ने एमएलएटी के तहत अनुरोध भी किया है। 10 दिसंबर, 2018 को ब्रिटेन की एक अदालत ने माल्या के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी।

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