मथुरा में ठंड शुरू होते ही ठाकुरजी के खानपान से लेकर उनके पहनावे में भी बदलाव आ गया है। ठाकुरजी को जहां गर्म खाद्य पदार्थ निवेदित किये जा रहे हैं, वहीं रात में रजाई ओढ़ाई जा रही है। मंदिरों में नियमित पकवानों के अलावा घरों में भी ठाकुरजी के खान-पान में सर्दी के मेवों और गोंद की मिठाइयों के व्यंजन शामिल हो गए हैं। प्रमुख बड़े मंदिर में रात को शयन शृंगार उतारने के बाद ठाकुरजी को रजाई ओढ़ाई जा रही है।
मथुरा के द्वारिकाधीश मंदिर में राजाधिराज को सर्दी से बचाव के लिए रुई की बंडी, रुई की रजाई के साथ ही ठाकुरजी का पर्दा भी रुई का लगाया जा रहा है। सेवायतों का मानना है कि कहीं से भी ठाकुरजी को ठंड का एहसास न हो।
मंदिर के विधि एवं मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी ने बताया कि जगमोहन में भी पर्दे रुई के लगाए जा रहे हैं। वहीं रात आरती के बाद ठाकुरजी को रजाई ओढ़ाई जा रही है। कार्तिक पूर्णिमा के बाद ठाकुरजी को केसर दूध के साथ सूजी का हलवा निवेदित किया जा रहा है।
प्राचीन केशवदेव मंदिर में भी ऋतु परिवर्तन का असर ठाकुरजी के श्री विग्रह पर पड़ रहा है। सेवायत ठाकुरजी को ऊनी बगलबंदी, के साथ पैरों में मोजे के साथ शयन में रजाई ओढ़ाई जा रही है। वहीं मेवायुक्त प्रसाद के साथ केसर दूध निवेदित किया जा रहा है। इसके साथ ही राधा मोहन मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, रंगेश्वर मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर में ठाकुरजी को ठंड से बचाने का क्रम शुरू हो गया है।
ठाकुरजी को सर्दी से बचाने के लिए जिन वस्त्रों का प्रयोग किया जाता है वह भक्त स्वयं बनाते हैं। द्वारिकाधीश मंदिर का स्वयं का दर्जी नियुक्त किया गया है। वही ऋतु परिवर्तन के साथ ठाकुरजी के सभी प्रकार के वस्त्रों को तैयार करता है। केशवदेव मंदिर कमेटी के मीडिया प्रभारी नारायण प्रसाद शर्मा ने बताया कि ठाकुरजी के श्री विग्रहों के वस्त्रों को सुरेंद्र मुकुट वाले तैयार करते हैं।