बड़ी खबर :शीला दीक्षित ने कहा कि मतदाताओं ने खूब समर्थन दिया ,किन एक लहर आई और सब कुछ बहाकर ले गई

बेशक दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर भाजपा ने सफलता का परचम लहराया हो, लेकिन पांच सीटों पर नंबर दो रहकर कांग्रेस ने भी अपनी मजबूत स्थिति को प्रदर्शित किया है। यहां तक कि दिल्ली की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर भी कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को पछाड़ दिया है। ऐसे में पार्टी की हार के कारण क्या रहे? क्या है भविष्य की रणनीति और आगामी विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का प्लान। ऐसे ही कुछ प्रमुख सवालों को लेकर संजीव गुप्ता ने रविवार शाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित से उनके आवास पर विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

1. लोकसभा चुनाव के नतीजों को आप हार के तौर पर देखती हैं या जीत के तौर पर?

– प्रदेश कांग्रेस के लिए मैं इन नतीजों को न हार कह सकती हूं और न जीत। हमें पूरी उम्मीद थी कि कम से कम तीन सीटें तो हम जीत ही जाएंगे। लेकिन, सभी सीटें हारने पर निराशा हुई। मेरा मानना है कि मतदाताओं ने कांग्रेस उम्मीदवारों को जो समर्थन दिया, वह असाधारण था। बावजूद इसके मोदी की लहर आई और सब कुछ बहाकर ले गई। अगर लहर न होती तो निश्चित तौर पर नतीजे हमारे पक्ष में होते।

2. आपकी सीट पर ऐसा क्या हुआ कि चार लाख से अधिक वोट लेकर भी आप भाजपा प्रत्याशी मनोज तिवारी से हार गईं?

– यह सही है कि मुझे उत्तर-पूर्वी लोकसभा सीट पर मतदाताओं ने खूब समर्थन दिया, वोट भी खूब दिए, लेकिन जैसा कि मैंने पहले कहा कि एक लहर आई और सब कुछ बहाकर ले गई। इससे ज्यादा अभी मैं क्या कह सकती हूं! हार के कारणों पर तो समीक्षा करेंगे ही।

3. चुनाव में बड़ी हार के बाद राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश की, इस पर आपकी क्या राय है?

– राहुल गांधी हमारी पार्टी के अध्यक्ष हैं। वह समझदार हैं, परिपक्व हैं। उनके हर निर्णय में दूर की सोच रहती है। वह जो भी निर्णय लेंगे, बेहतर ही होगा और हमें मान्य भी होगा।

4. कहा जा रहा है कि आपके नाम पर प्रत्याशियों को वोट तो अच्छे मिल गए, लेकिन संगठन किसी के साथ खड़ा नजर नहीं आया। हकीकत क्या है?

– ऐसा नहीं है। संगठन के लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में काफी काम किया है। उनकी मेहनत से ही हम लोग दूसरे नंबर पर आ पाए हैं। इतना जरूर है कि अगर हम थोड़ी अधिक मेहनत कर लेते तो शायद स्थिति भी कहीं और बेहतर हो सकती थी।

5. क्या विधानसभा चुनावों के मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस में फेरबदल संभव है?

– संगठन में फेरबदल का निर्णय पार्टी हाईकमान का है। मैंने अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं रखा है। पार्टी अध्यक्ष जैसा जरूरी समझेंगे, करेंगे और हमें वह स्वीकार भी होगा।

6. कहा जा रहा है कि कांग्रेस बुजुर्गों की पार्टी बनकर रह गई है?

– ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कांग्रेस बुजुर्गो की पार्टी हो गई है। बुजुर्गों के साथ-साथ पार्टी में युवाओं की भी भरमार है। सच तो यह है कि कांग्रेस में युवा उत्साह के साथ-साथ बुजुर्गों के अनुभव को भी पूरी तवज्जो दी जाती है।

6. चुनावी नतीजों के बाद क्या लगता है कि AAP के साथ गठबंधन न करके सही किया या गलत?

– मुझे लगता है कि हमने बिल्कुल सही किया। आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ हमारा तजुर्बा अच्छा नहीं रहा। वहां विश्वास का अभाव रहता है। अगर हम गठबंधन कर लेते तो सही तस्वीर भी सामने नहीं आ पाती। और सही तस्वीर यह है कि दिल्ली की जनता AAP को नकार रही है, जबकि कांग्रेस पर फिर भरोसा जता रही है। अगले विधानसभा चुनाव में जनता का यह भरोसा और मजबूत होने की संभावना है।

7.विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी की क्या रणनीति होगी?

– बेशक हमारा अगला लक्ष्य अब विधानसभा चुनाव ही है, लेकिन रणनीति अभी कोई तैयार नहीं की गई है। अभी मैं प्रदेश के नेताओं और कार्यकर्ताओं से चुनावी नतीजों पर बैठक करूंगी। आपस में सलाह करेंगे। हार के कारणों, अपनी खामियों और उसे दूर करने के उपायों पर भी चर्चा करेंगे। इसके बाद ही आगे की रणनीति तय करेंगे। इतना जरूर है कि अबकी बार हम कहीं मजबूती के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे।

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