बड़ी खबर : अखिलेश के आगे सरेंडर हुए मुलायम और शिवपाल, न जाएंगे कोर्ट, न उतारेंगे प्रत्याशी

साइकिल छिनने के बाद मुलायम सिंह यादव के घर पर मंगलवार दोपहर एक हाईलेवल मीटिंग हुई. इस बैठक में शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम के साथ मंत्रणा की. बैठक में नारद राय, ओमप्रकाश सिंह व अन्य करीबी नेता भी उपस्थित थे. सूत्रों के अनुसार मीटिंग में सर्वसम्मति से अखिलेश यादव को ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मानने के साथ ही मामले का पटाक्षेप कर देने पर सहमति बन गई है.

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जानकारी के अनुसार मुलायम के घर पर चली हाइलेवल मीटिंग के बाद तय किया है कि अखिलेश का अब कोई विरोध नहीं किया जाएगा. न तो चुनाव आयोग के फैसले का अदालत में विरोध किया जाएगा न ही अखिलेश या सपा के किसी नेता के खिलाफ कोई प्रत्याशी ही उतारा जाएगा. इस मीटिंग में मुलायम गुट ने अखिलेश को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर स्वीकार कर लिया है.

सूत्रों के अनुसार मुलायम ने कहा है कि सभी तक मैसेज पहुंचाएं कि चुनाव की तैयारी में जुट जाएं, सीटों की घोषणा गठबंधन के बाद होगी. पता चला है कि मुलायम की तरफ से अखिलेश यादव को तीन दर्जन नेताओं की सूची भी भेजने की तैयारी है. इनमें शिवपाल के कई करीबी नेताओं के नाम शामिल हैं. अंबिका चौधरी, ओमप्रकाश सिंह और नारद राय को भी टिकट दिए जाने की बात है.

सूत्रों के अनुसार बैठक में अदालत जाने के विकल्प के साथ ही अखिलेश की टीम के खिलाफ अपने नेता उतारने, शिवपाल और मुलायम के चुनाव मैदान में उतरने आदि पर भी चर्चा हुई.

दरअसल मुलायम सिंह यादव ने सोमवार को चुनाव आयोग से फैसला आने से पहले ही ऐलान किया था कि पार्टी को बचाने के लिए वह कुछ भी करने को तैयार हैं.

उन्होंने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि वह अखिलेश के खिलाफ भी चुनाव लड़ेंगे. यही नहीं मुलायम ने सिंबल न मिलने की स्थिति में अदालत की शरण लेने की बात भी कही थी.

उन्होंने पार्टी कार्यालय पर कार्यकर्ताओं को सबोधित किया कहा कि मैंने कई बार बात करने के लिए अखिलेश को बुलाया लेकिन वो नही आया. जब बीवी बच्चो की कसम खिलाई तब भी एक बार आए, उसमें भी बात शुरू करने से पहले ही चला गया.

मुलायम ने कहा कि जनता के बीच संदेश गया है कि अखिलेश मुसलमान विरोधी हैं. अखिलेश ने कई मंत्रियो को बेवजह पार्टी से निकाला. रामगोपाल ने पार्टी को बर्बाद करने में कोई कसर नही छोड़ी. मुलायम ने साफ किया था कि सिंबल चाहे जो भी हो कार्यकर्ताओं का साथ उन्हें चाहिए.

समाजवादी पार्टी के नए सुप्रीमो अखिलेश यादव हो चुके हैं. उनका विरोध कर रहे पिता मुलायम सिंह पार्टी में संरक्षक हो गए हैं. इस पूरी उठापटक में अगर किसी का सबसे ज्यादा नुकसान होता दिख रहा है, तो वह शिवपाल सिंह यादव ही हैं. मुलायम लगातार ये साफ करते रहे हैं कि समाजवादी पार्टी को खड़ा करने में उनके साथ शिवपाल कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं.

 
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