बड़ा खुलासा: नियमों की अनदेखी कर दो साल में हटाये 22 आईपीएस

शासन ने पुलिस अधिनियम के प्रावधानाें की अनदेखी कर 22 पुलिस अधिकारियों को दो साल की अवधि से पहले हटाया है। यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में हुआ है। हालांकि स्थानांतरण का कारण जनहित और शासन के आदेश के क्रम में दर्शाया गया है।

काशीपुर के आरटीआई कार्यकर्ता अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने पुलिस मुख्यालय से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी कि एक पद पर दो साल की अवधि से पहले कितनी आईपीएस अधिकारी हटाए गए हैं। लोक सूचना अधिकारी और सहायक पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण की तरफ से 2016 से लेकर 2018 तक 22 ऐसे आईपीएस अधिकारियों की सूचना उपलब्ध कराई है, जिन्हें दो साल के न्यूनतम पद पर बने रहने की अवधि से पहले हटाया गया है।

इन आईपीएस के नाम हैं शामिल

इनमें आईजी एपी अंशुमन, डीआईजी पुष्पक ज्योति, डीआईजी अजय रौतेला, डीआईजी बिमला गुंज्याल, अजय जोशी, आईपीएस वीके कृष्ण कुमार, मुख्तार मोहसिन, जगतराम जोशी, नारायण सिंह नपच्याल, राजीव स्वरूप, स्वीटी अग्रवाल, सेंथिल आबूधई, योगेन्द्र सिंह रावत, पी रेणुका, बरिदंर जीत सिंह, दिलीप सिंह कुंवर, प्रीति प्रियदर्शनी, रामचंद्र राजगुरू, सुखबीर सिंह का नाम शामिल है।

आरटीआई कार्यकर्ता नदीम के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ केस में विपरीत परिस्थितियों को छोड़कर दो वर्ष से पहले जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को एक पद से न हटाने के आदेश दिए थे। आदेश के अनुपालन में उत्तराखंड पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 28 में यह प्रावधान किया गया था।

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