ब्रह्मचारी होते हैं नागा, अघोरी बनाते हैं शवों के साथ संबंध, हैरान कर देंगें दोनों के ये अंतर

जैसा की आप जानते हैं कि हमारे देश में सभी धर्मों को माना जाता है। तथा सभी धर्मों को मानने वाले लोग यहां रहते हैं। आज हम आपको इस आर्टिकल में नागा साधु तथा अघोरी साधुओं के बीच कुछ ऐसे अंतर बताने जा रहे हैं। जिन्हें जानकर आप हैरान हो जाएंगे। बता दें कि नागा साधु ब्रह्चारी होते हैं तो वहीं अघोरी साधु लाशों के साथ संबंध बनाते हैं। नागा तथा अघोरी साधुओं के बीच कुछ ऐसे ही तथ्यों के बारे में जानकर आप चौंक जाएंगे।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागा का संस्कृत में अजर्थ होता हैं पहाज। यही कारण हैं कि नागा साधु पहाडों की गुफाओं में रहते हैं।  वहीं अघोरी शब्द का अर्थ उजाले की ओर होता हैं। लेकिन नागा तथा अघोरियों का रहन सहन अलग होता हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागा किसी भी एक जगह पर स्थाई रुप से नहीं रहते। वे हमेशा गुफाओं में रहते हैं। तथा थोड़े थोडे समय में अपनी जगह बदलते रहते हैं। तथा नागा हमेश पैदल ही यात्रा करते हैं।

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वहीं अघोरी साधु श्मशान में रहते हैं। तथा चिताओं की राख को अपने शरीर पर लपेट कर रखते हैं। तथा ये इंसान की अधजली लाश को भई अपने भओजन के रुप में स्विकार कर लेते हैं। तथा अघोरी हमेशा एकांत जगहों पर रहते हैं।
बता दें कि नागा साधु दिन मे सिर्फ एक बार ही भोजन करते हैं। तथा नागा साधु भीक्षा मांगकर ही भोजन करते हैं। तथा एक नागा साधु एक दिन में सिर्फ 7 घरों में ही भीक्षा मांग सकता हैं। अगर उसे इन सातों घरों में कुछ नहीं मिलता तो उसे भूखा ही रहना पड़ता हैं।
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