पेंशन के रुपये लेने के लिए बैंक के बाहर कतार में लगे एक बुजुर्ग की मौत, 42 हजार पेंशनधारियों के खाते हैं इस बैंक में

जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र कोटड़ा में मालवा का चौरा गांव में पेंशन के रुपये लेने के लिए बैंक के बाहर कतार में लगे एक बुजुर्ग की मौत हो गई। वह पिछले तीन दिन से अपने गांव धौलादेव से चार किलोमीटर पैदल चलकर आने के बाद बैंक की कतार में आकर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। गुरुवार को कतार में लगे रहने के दौरान उसकी तबियत बिगड़ी और गश खाकर गिर पड़ा और मौके पर ही उसके प्राण निकल गए। गुरुवार रात तक इस घटना को लेकर पुलिस चुप्पी साधे रही। शुक्रवार को बेकरिया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बुजुर्ग के शव का पोस्टमार्टम किया गया।

इस घटना में धौलादेव निवासी बुजुर्ग भीखा (70) पुत्र भोपालराम की मौत हो गई। घटना के दिन भी वह अपने घर से पैदल निकला था और बैंक की कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहा था। मालवा का चौरा गांव में पंजाब नेशनल बैंक की इकलौती शाखा है जिसमें आसपास के बारह ग्राम ग्राम पंचायतों के करीब 43 हजार खाते हैं। आसपास कोई अन्य बैंक की शाखा नहीं होने से इसी बैंक में सर्वाधिक खातों का लेन-देन होता है।

बैंक संबंधी काम के लिए ग्राहकों का नंबर दो-तीन दिन तक कतार में लगने के बाद ही आता है। इसी बैंक में धौलादेव गांव का भीखाराम भी अपनी पैंशन की रकम लेने पिछले तीन दिन से आ रहा था। गुरुवार को वह कतार में लगा था लेकिन नंबर आने से पहले वह वहीं गश खाकर मौके पर गिर पड़ा। लाइन में लगे दूसरे ग्रामीणों ने उसे संभाला और उसे पानी पिलाया लेकिन कुछ सैकंड में ही उसकी मौत हो गई। सूचना पर कोटड़ा थानाधिकारी अमराराम मीणा, सरपंच तोताराम गरासिया और जिला परिषद सदस्य राजाराम गरासिया भी मौके पर पहुंचे। जहां से उसका शव बेकरिया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया।

सुबह छह बजे से लग जाती है पेंशनधारियों की लाइन

बताया गया कि इस बैंक में पेंशन की राशि लेने के लिए सुबह छह बजे से ही पेंशनधारियों की लाइन लग जाती है। भीखाराम भी भीषण गर्मी में पिछले तीन दिन से सुबह से शाम तक लाइन में लगता रहा लेनिक पेंशन नहीं मिली। गुरुवार सुबह वह छह बजे आकर बैंक के बाहर लगी कतार में लग गया था।

 परिवार का इकलौता कमाऊ था

धौलादेव निवासी भीखाराम अपने परिवार में इकलौता कमाऊ सदस्य था। उसकी मौत के बाद उसका परिवार मुश्किल में पड़ गया है। घास-फूंस और खजूर के पत्तों से बने झोंपड़े में रहने वाला भीखा के परिवार का गुजारा उसकी पेंशन से ही चल रहा था। अनाज और घर खर्च के लिए पैसा निकालने के लिए वह पिछले तीन दिन से बैंक की लाइन में लग रहा था। किन्तु बैंक में भीड़ इतनी थी कि उसका नंबर ही नहीं आ पाता। भीखा के परिवार में उसकी पत्नी और निशक्त बेटा रूपा गरासिया है। छब्बीस वर्षीय बेटा रूपा नि:शक्त होने से ज्यादा काम नहीं कर पाता और इसी वजह से उसके पिता वृद्धावस्था के बावजूद अकेले ही बैंक जाते थे।

अकेले भीखा की नहीं, अन्य 42 हजार बुजुर्गों की यही परेशानी 

पेंशन के लिए बैंक की कतार में घंटों खड़े रहना अकेले भीखाराम की ही मजबूरी नहीं, बल्कि आसपास के 12 पंचायतों के बयालीस हजार बुजुर्गों की भी मजबूरी है। पैंशन के लिए ये लोग सुबह से शाम बैंक की कतार में लगे रहते हैं और उसके बावजूद उनका नंबर नहीं आ पाता। दो-तीन दिन तक लगाकर लाइन में लगने के बाद ही उन्हें पेंशन की राशि मिल पाती है।

इधर, शाखा प्रबंधक असीम यादव का कहना है कि वह किसी भी जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं है। जब पीएनबी के उप महाप्रबंधक मुकेश जैन से बात की गई तो उनका कहना था कि बैंक ने अपनी ओर से बीस से बाईस वीसी एजेंट लगा रखे हैं। उनका काम घर-घर पैंशन पहुंचाना है। हालांकि फिर भी बैंक के बाहर पैंशनरों की कतार लगती है।

 डेढ़ दशक से बैंक की दूसरी शाखा खुलवाने की चल रही है मांग

मालवा का चौरा गांव या आसपास के क्षेत्र में एक और बैंक की शाखा खुलवाने के लिए ग्रामीण पिछले डेढ़ दशक से मांग करते आए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने सरपंच, जिला परिषद सदस्य, जिला प्रमुख, पूर्व जिला कलक्टर रोहित गुप्ता, विष्णुचरण मल्लिक ही नहीं, बल्कि मौजूदा जिला कलक्टर आनंदी के कोटड़ा दौरे के दौरान हालात बताकर बैंक की एक और शाखा खोले जाने की मांग की लेकिन समाधान नहीं मिल पाया। 

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