बुटेरी गांव में दबंगों ने दलित दूल्हे को घोड़ी से उतारा, परिवार को बिंदोरी नहीं निकालने की दी धमकी

राजस्‍थान के अलवर के बानसूर कस्बे के बुटेरी गांव में कुछ दबंगों ने दलित समाज के दूल्हे को घोड़ी से उतार दिया और दूल्हे के परिवार को बिंदोरी नहीं निकालने की धमकी दी। दलित समाज के लोगों ने सोमवार को उपखण्ड अधिकारी से मिल कर 21 नवम्बर को होने वाली शादी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की है।

बुटेरी गांव में 21 नवम्बर को मेघवाल समाज में एक लड़के का विवाह है। रविवार को उसकी बिंदौरी निकाली गई थी। गांव में दबंगों ने दूल्हे की को घोडी से से उतार दिया और बिंदोरी भी नहीं निकालने दी। बानसूर मेघवाल समाज ने सोमवार को बानसूर उपखंड अधिकारी को ज्ञापन दे कर इस मामले से अवगत कराया और विवाह के दौरान सुरक्षा देने की मांग की। समाज के लोगों की मांग है कि प्रशासन की देखरेख में विवाह सम्पन्न करवाया जाए।

गौरतलब है कि राजस्‍थान के गांवों में इस तरह की घटनाएं कई बार सामने आती है और दलित समाज के दूल्हों को बारात या बिंदौरी नहीं निकालने दी जाती और पुलिस सुरक्षा में यह काम करना पड़ता है। यह समस्या लगभग सभी जिलों में देखी जाती है।

ब्लड बैंक में नही था बी नेगेटिव ब्लड, 45 किमी दूर से आए डोनर ने बचाई गर्भवती की जान

चित्तौडग़ढ़ जिले में एक ब्लड डोनर ने मध्यप्रदेश की गर्भवती महिला की जान उस समय बचा ली जब उसे बी नेगेटिव ब्लड की जरूरत थी। जिला अस्पताल के ब्लड बैंक ही नहीं, आसपास जिलों के सभी ब्लड बैंक में बी नेगेटिव ब्लड उपलब्ध नहीं था। सोशल मीडिया से मिली सूचना के बाद पैंतालीस किलोमीटर से दूर आए ब्लड डोनर ने उसकी जान बचा ली।

मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के झांतला निवासी 25 वर्षीय गर्भवती महिला राधा प्रजापत की श्रीसांवलिया राजकीय जिला अस्पताल में डिलेवरी हुई। इसके बाद लगातार ब्लीडिंग की वजह से उसके शरीर में रक्त की भारी कमी हो गई। उसे बी नेगेटिव ब्लड की बेहद जरूरत थी, जो जिला अस्पताल के ब्लड बैंक ही नहीं, आसपास जिलों के ब्लड बैंक में उपलब्ध नहीं था। उसके परिजन ही नहीं, बल्कि अस्पताल कर्मचारी भी परेशान थे। उन्होंने सोशल मीडिया से जुड़े कई ग्रुप्स में बी नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता की गुहार लगाई। इसका पता जीवनदाता संस्था के ब्लड डोनर कोचवा निवासी चंद्रशेखर धाकड़ को भी मिली, जो उस समय चित्तौडग़ढ़ जिला मुख्यालय से पैंतालीस किलोमीटर दूर अपने गांव में थे। जैसे ही उन्हें इसकी सूचना मिली तो चंद्रशेखर धाकड़ चित्तौड़गढ़ आए तथा उन्होंने ब्लड दिया। इसके बाद महिला की हालत में सुधार है।

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