बीज वितरण घोटाला, डिंडौरी कृषि विभाग में ईओडब्ल्यू की छापेमारी

शिकायत एक RTI कार्यकर्ता द्वारा सबूतों के साथ दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि किसानों को बीज या तो नहीं मिले या कम गुणवत्ता वाले बीज बांटे गए। पूर्व में भी इस मामले में कृषि उप संचालक अश्विनी झरिया को निलंबित किया गया था।

डिंडौरी जिले में कृषि विभाग के अंतर्गत वर्ष 2021-22 में टारफा योजना के तहत हुए बीज वितरण घोटाले की जांच एक बार फिर तेज हो गई है। जबलपुर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) की टीम ने बुधवार को डिंडौरी कृषि कार्यालय में छापा मारते हुए कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए। यह कार्रवाई बीज वितरण में हुई अनियमितताओं और वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर की गई है, जिसकी शिकायत एक आरटीआई कार्यकर्ता ने प्रमाणों के साथ दर्ज कराई थी।

उल्लेखनीय है कि टारफा योजना के अंतर्गत किसानों को चना, मसूर और गेहूं जैसी फसलों के बीज रकबे के अनुसार वितरित किए जाने थे, लेकिन इस योजना में भारी अनियमितता बरती गई। किसानों को या तो बीज नहीं मिले या उन्हें कम गुणवत्ता वाला बीज मुहैया कराया गया। इसकी शिकायतें लगातार सामने आती रहीं, जिसके चलते इस मामले ने तूल पकड़ लिया।

इस प्रकरण में पूर्व में भी कार्रवाई की जा चुकी है। 4 दिसंबर 2022 को जब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहपुरा तहसील के दौरे पर थे, तब स्थानीय किसानों ने सार्वजनिक रूप से बीज वितरण में हुई अनियमितताओं की शिकायत की थी। इसे गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने तत्कालीन कृषि उप संचालक अश्विनी झरिया को निलंबित करने के आदेश जारी किए थे। ताजा कार्रवाई में ईओडब्ल्यू की टीम ने शहपुरा, डिंडौरी और मेंहदवानी विकासखंड कार्यालयों से बीज वितरण संबंधित फाइलें जब्त की हैं। वहीं करंजिया, बजाग, अमरपुर और समनापुर कार्यालयों के संबंधित अधिकारियों को समस्त दस्तावेजों सहित जबलपुर कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।

ईओडब्ल्यू अधिकारियों के अनुसार, दस्तावेजों की गहन जांच के बाद यदि गड़बड़ियों की पुष्टि होती है, तो दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस बीच कृषि विभाग के अन्य कर्मचारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। इस छापेमारी और दस्तावेजी जब्ती से बीज वितरण घोटाले की परतें एक बार फिर खुलने लगी हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि जांच के बाद जिम्मेदारों को न्यायिक कटघरे में लाया जाएगा। किसानों को भी अब इस बात की आस है कि उन्हें इंसाफ मिलेगा और भविष्य में ऐसी योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।

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