बीजेपी की राजनीति में राजस्थान को मिले अधिक महत्व के सियासी निहितार्थ…

भारतीय जनता पार्टी में 25 लोकसभा और दो सौ विधानसभा सीटों वाले राजस्थान की अहमियत बढ़ी है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में हार के बाद राज्य की सत्ता से बाहर हुई बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त वापसी कर क्लीन स्वीप किया. नतीजा यह निकला कि मोदी सरकार 2.0 बनने के बाद जहां केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उचित प्रतिनिधित्व मिला, वहीं लोकसभा अध्यक्ष का पद भी राज्य के खाते में गया.

कोटा  सीट से दूसरी बार जीते ओम बिड़ला लोकसाथ के स्पीकर निर्वाचित हुए हैं. संसदीय राजनीति के मामले में कम अनुभवी होने पर भी बीजेपी की ओर से ओम बिड़ला को लोकसभा का अध्यक्ष बनाए जाने के पीछे माना जा रहा है कि यह राजस्थान को अतिरिक्त महत्व देने की कोशिश है.  बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन में भी राजस्थान का दबदबा है. बीजेपी के राजनीति में राजस्थान को मिले महत्व के पीछे सियासी निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं.

तीन केंद्रीय मंत्री

मोदी सरकार ने राजस्थान से कुल तीन सांसदों को अपने मंत्रिपरिषद में शामिल किया है. गजेंद्र सिंह शेखावत को वह जलशक्ति मंत्रालय दिया है, जिसकी चर्चा पीएम मोदी चुनाव के दौरान करते रहे. पहली बार जल से जुड़े सभी मंत्रालयों का एक साथ गठन कर यह नया मंत्रालय बनाया गया है. बाड़मेर जैसलमेर से पहली बार जीते कैलाश चौधरी भी केंद्रीय मंत्री बने हैं. इसके अलावा अर्जुन राम मेघवाल दोबारा सरकार में शामिल हुए हैं.

राष्ट्रीय संगठन में दबदबा

बीजपी के राष्ट्रीय संगठन में भी राजस्थान का दबदबा है. एक ही सूबे से दो-दो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. वसुंधरा राजे भले ही राज्य की राजनीति में ज्यादा सक्रिय हैं, मगर उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया है. इसके अलावा राजस्थान के ही वरिष्ठ नेता ओम माथुर भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. राजस्थान के अजमेर से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र यादव भी राष्ट्रीय महासचिव हैं.

भूपेंद्र यादव परदे के पीछे रहकर संगठन को मजबूत बनाकर बीजेपी की कई राज्यों में जीत के शिल्पकार रहे हैं. वह बिहार और मोदी-शाह के गृह राज्य गुजरात के प्रभारी भी हैं. हाल में बीजेपी ने छह जुलाई से राष्ट्रीय सदस्यता अभियान शुरू करने का फैसला किया है. इसमें राजस्थान के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को अभियान का राष्ट्रीय सहसंयोजक बनाया गया है. बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि राजस्थान को महत्व देकर बीजेपी जनता की भावनाओं से जुड़ने की कोशिश कर रही है. ताकि अगले विधानसभा चुनाव तक कांग्रेस से हिसाब-चुकता किया जा सके.

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