बिहार में बिगड़ सकता है महागठबंधन का खेल, कांग्रेस को सिर्फ 8 सीट देना चाहती है आरजेडी

बिहार में एनडीए के खिलाफ महागठबंधन की राह कठिन होती दिख रही है. पार्टियों के बीच विवाद बढ़ रहा है. सीटों के बंटवारे को लेकर बात बिगड़ती दिख रही है. 2014 के लोकसभा चुनाव में आरजेडी ने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था. वहीं कांग्रेस ने 12 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी के गठबंधन का हिस्सा बनने से दोनों ही पार्टियों को नए पार्टनर के लिए जगह खाली करनी होगी. इकनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक आरजेडी कांग्रेस को 8 से ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती. 8 सीटों पर बात नहीं बनने पर आरजेडी अधिकतम 10 सीटें देने पर विचार कर सकती है.बिहार में बिगड़ सकता है महागठबंधन का खेल, कांग्रेस को सिर्फ 8 सीट देना चाहती है आरजेडी

तो बिहार में भी अकेले लड़ सकती है कांग्रेस
आरजेडी के एक नेता का कहना है कि 2014 में हमने 27 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन नए साथियों के लिए हम अपनी सीटों से समझौता कर रहे हैं. कांग्रेस को भी समझौता करना चाहिए. वहीं कांग्रेस महागठबंधन में 12 से ज्यादा सीटें चाहती है. पार्टी का कहना है कि यह बंटवारा 50-50 का होना चाहिए. हम कुशवाहा, मांझी और शरद यादव को अपने कोटे से सीटें देंगे. कुछ राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर लालू यादव सीटों के बंटवारे को लेकर अपनी बात पर कायम रहते हैं तो कांग्रेस को उत्तर प्रदेश की तरह गठबंधन से बाहर होना पड़ सकता है.

मायावती की पार्टी को भी मिलेगी जगह
बिहार में कांग्रेस को कुशवाहा, मांझी और शरद यादव का समर्थन प्राप्त है. महागठबंधन में कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी को चार सीटें देने का वादा किया गया है. हाल ही में तेजस्वी यादव ने मायावती से मुलाकात की थी. सूत्रों का कहना है कि आरजेडी गोपालगंज सीट बीएसपी को देना चाहती है. अगर ऐसा होता है तो कुशवाहा की प्लानिंग धरी की धरी रह जाएगी. हाल की कुछ घटनाओं ने कांग्रेस और आरजेडी के बीच आशंका बढ़ा दी है. सपा-बसपा गठबंधन के बाद तेजस्वी यादव का मायावती और अखिलेश यादव से मिलना कांग्रेस को नागवार गुजरा है और वह इससे नाखुश है. पार्टी नेताओं का मानना है कि मायावती कांग्रेस पर लगातार हमले कर रही हैं ऐसे में तेजस्वी यादव का उनसे मिलना एक अलग मैसेज दे रहा है.

क्या है आरजेडी की चिंता
दूसरी ओर कांग्रेस के उच्च जाति के नेताओं से आरजेडी चिंतित है. 3 फरवरी को जब राहुल गांधी पटना के गांधी मैदान में रैली करेंगे उस समय पूर्व बीजेपी नेता और सांसद उदय सिंह के कांग्रेस में शामिल होने की उम्मीद है. कीर्ति आजाद और शत्रुघ्न सिन्हा के भी कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है, भले ही इन नेताओं ने इस बारे में कोई हिंट नहीं दिया है. कई सीनियर नेताओं के पार्टी में शामिल होने की उम्मीद के बीच कांग्रेस ज्यादा सीटें मांग रही है.

समय आने पर महागठबंधन का एलान
दूसरी ओर नौकरियों और शिक्षा में सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर आरजेडी ने जिस तरह का स्टैंड लिया है, उससे सवर्ण वोटों के आरजेडी के साथ जाने की संभावना शून्य है. जेडीयू में रहे गैंगेस्टर से नेता बने अनंत सिंह कांग्रेस के टिकट पर मुंगेर से लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. आरजेडी इसका विरोध कर रही है. इन सब के बीच आरजेडी नेता मनोज झा का कहना है कि महागठबंधन में किसी तरह की समस्या नहीं है. नेता आपस में लगातार बातचीत कर रहे हैं. हर लोकसभा सीट पर अलग-अलग फैक्टर से चर्चा हो रही है. किसी नतीजे पर पहुंचने के बाद जल्द ही लोगों के बीच इसका एलान किया जाएगा.

‘कांग्रेस ही कर सकती है विपक्ष की अगुवाई’
दूसरी ओर रविवार को राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की लड़ाई की अगुवाई करने के लिहाज से सबसे बेहतर स्थिति में है. हालांकि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस को ‘बड़ा दिल’ दिखाते हुए नेतृत्व की भूमिका निभानी होगी और क्षेत्रीय पार्टियों से भी तालमेल बिठाना होगा. तेजस्वी ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के बीच हुए गठबंधन को सराहते हुए कहा कि गठबंधन के बाद अखिलेश यादव और मायावती के साथ हुई उनकी ‘शिष्टाचार भेंट’ को कांग्रेस पर ‘दबाव बनाने का तरीका’ नहीं समझना चाहिए.

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