बारिश के चलते दून में प्रशासन ने नदी किनारों की बस्तियों को खाली करने की दी चेतावनी…

उत्तराखंड में मंगलवार को मौसम कुछ राहत देने वाला रहा। अधिकांश स्थानों पर धूप खिलने से नदी और नालों का जलस्तर कुछ कम होने लगा। वहीं, प्रशासन की चेतावनी के बावजूद दून में रिस्पना, बिंदाल नदी व इसके तटीय इलाकों की अवैध बस्तियों में रहने वाले बाशिंदे टस से मस नहीं हुए। सोमवार को भारी बारिश का अलर्ट मिलने के बाद पुलिस ने बस्तियों में डुग्गी-मुनादी भी कराई, मगर चंद परिवारों को छोड़ अधिकांश घर छोड़ने को राजी नहीं हो रहे हैं। ऐसे में यदि पहाड़ पर भारी बारिश का सिलसिला जारी रहा तो रिस्पना-बिंदाल के तटीय इलाकों में जानमाल के भारी नुकसान की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।

नगर निगम के सर्वे के अनुसार, रिस्पना व बिंदाल के तटीय इलाकों में 129 बस्तियां हैं। इनमें करीब दो लाख की आबादी रहती है। बस्तियों के अधिकांश घर या तो नदी क्षेत्र में हैं, या फिर तट से बिल्कुल सटे हुए हैं। मानसून सीजन में हर साल इन बस्तियों पर खतरे के बादल मंडराते हैं और हर बार प्रशासन उन्हें घर छोड़ने की चेतावनी देता है, मगर वहां रहने वाले हटने को राजी नहीं होते।

इस बार भी कुछ ऐसे ही हालात हैं। रविवार को मौसम विभाग ने सोमवार को भारी बारिश का अलर्ट जारी किया तो प्रशासन भी हरकत में आ गया। डीएम व एसएसपी ने रिस्पना-बिंदाल की बस्तियों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर चले जाने को कहा। यहां तक कि रविवार की रात बस्तियों में लाउडस्पीकर से मुनादी भी कराई, फिर भी चंद परिवारों को छोड़ कोई भी बस्ती से हटने को तैयार नहीं हुआ।

बारिश न होने से ली राहत की सांस

सोमवार को देहरादून और आसपास के इलाकों में सुबह के समय मामूली बारिश के बाद धूप खिल गई। मंगलवार को भी धूप से प्रशासन और पुलिस महकमे ने राहत की सांस ली। वहीं, जानकारों की मानें तो खतरा अभी टला नहीं है। वह इसलिए कि रिस्पना और बिंदाल नदी में पहाड़ में बारिश होने के बाद उफान आता है। पहाड़ों में बारिश हुई और बस्तियों को समय रहते खाली नहीं कराया गया तो आने वाले दिनों में जानमाल का बड़ा नुकसान हो सकता है।

उठाए जा रहे हैं कदम 

देहरादून के एसएसपी अरुण मोहन जोशी के मुताबिक, बिंदाल-रिस्पना की बस्तियों में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए आगाह कर दिया गया है। इसके साथ ही मौसम विभाग से मिल रहे अलर्ट पर भी नजर रखी जा रही है। जानमाल का नुकसान न हो इसके लिए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं।

बंद हो रही हैं सड़कें

रविवार को हुई आफत की बारिश से राज्य की 443 सड़कें बंद हो गई थी। इसमें अभी तक लोक निर्माण विभाग 345 सड़कों पर आवाजाही करा सका। बंद सड़कों को खोलने के लिए विभाग ने 316 जेसीबी मशीनें लगाई हैं। इसके अलावा चार पुल बहने से कई गांवों का संपर्क कटा हुआ है।

राज्य में बारिश का कहर सड़कों पर भारी पड़ रहा है। शनिवार रात और रविवार को हुई बारिश से इस सीजन में सबसे ज्यादा 443 सड़कें एक ही दिन में बंद हो गईं। इनमें नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे, ग्रामीण मार्ग और पीएमजीएसवाई की सड़कें शामिल हैं।

लोनिवि से मिली जानकारी के अनुसार, सबसे ज्यादा 46 सड़कें पौड़ी गढ़वाल में बंद हुई हैं। इसके बाद देहरादून में 28, उत्तरकाशी में 30, टिहरी में 35, चमोली में 26 सड़कें बंद हुई हैं। बंद सड़कों में दो नेशनल हाईवे, 15 स्टेट हाईवे, 13 मिडिल रोड, 20 जिला सड़कें, 159 ग्रामीण और 136 पीएमजीएसवाई की ग्रामीण सड़कें बंद हुई हैं।

लोनिवि के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि सड़कों को खोलने का काम जारी है। इसके अलावा आराकोट और त्यूनी में दो मोटर और दो पैदल पुल भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। चारों जगह व्यवस्था के लिए पैदल पुलों के निर्माण के निर्देश दिए गए हैं।

अगले दो दिन साफ रहेगा मौसम 

अगले दो दिनों तक उत्तराखंड में भारी से भारी बारिश से राहत मिलने की उम्मीद है। मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, उत्तराखंड में आंशिक रूप से लेकर आमतौर पर बादल छाये रह सकते हैं। राज्य के कुछ पर्वतीय इलाकों में गर्जन के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। विशेषकर कुमाऊं मंडल के कुछ जिलों में एक-दो दौर तेज बौछार पड़ने का अनुमान है। प्रदेश में अगले दो दिनों तक कहीं भी भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी नहीं है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि अगले 24 घंटे के दौरान देहरादून व आसपास के कुछ क्षेत्रों में हल्की बारिश हो सकती है।

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