बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: ओवैसी ने कहा क्या जादू से गिर गई मस्जिद

नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बाबरी मस्जिद पर सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने आज के दिन को अदालत की तारीख का काला दिन बताते हुए पूछा है कि क्या मस्जिद जादू से गिर गई थी? फैसले के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ओवैसी ने बीजेपी, शिवसेना, वीएचपी, कांग्रेस को भी निशाने पर लिया।

असदुद्दीन ओवैसी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि उस दिन (6 दिसम्बर, 1992) मस्जिद कोई जादू से गिर गई थी? क्या जादू से वहां मूर्तियां रखी गई थीं और ताले खुलवाए गए थे? आखिर, किसने मस्जिद तोड़ी? ओवैसी ने कहा कि मुझे उस दिन शर्म महसूस हुई कि अपनी मस्जिद को नहीं बचा पा रहा हूं और फिर आज इस तरह का फैसला आया।

हैदराबाद के सांसद ने आगे कहा कि इस मसले पर इंसाफ नहीं हुआ है। जिन लोगों के इशारे, मौजूदगी में यह अपराध हुआ, वे सभी आज बरी हो गए। मुझे यह नहीं मालूम कि सीबीआई अपील करेगी या नहीं करेगी और अगर करती भी है तो कितना समय लगेगा। लेकिन उन्हें अपील करनी चाहिए। कोई भी सही सोचने वाला इसपर सवाल खड़े करेगा कि क्या इंसाफ हो रहा है।

ओवैसी ने आज के दिन को बताया ‘काला दिन’

ओवैसी ने आज के दिन को काला दिन बताते हुए कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस की मौजूदगी में ये सब हुआ। कांग्रेस की ही सरकार थी, जब ताले खुलवाए गए। आरोपियों को सत्ता में शोहरत भी इसी मसले से मिली। आज का दिन एक काला दिन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आखिरी होता है, लेकिन यह फैसला आखिरी नहीं है और कोर्ट के फैसले पर असहमति जताना कोई कोर्ट का अवमानना करना नहीं है। आगे अब देखना होगा कि सीबीआई अपनी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के लिए अपील करेगी या फिर नहीं करेगी। अगर नहीं करती है तो फिर मैं अपील करूंगा कि मुस्लिम बोर्ड अपील करे।

विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को किया बरी

सीबीआई की विशेष अदालत ने छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में बुधवार को बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। विशेष अदालत के जज एस के यादव ने अपने फैसले में कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, यह एक आकस्मिक घटना थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिले, बल्कि आरोपियों ने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।

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